कश्मीर का चुनाव तय करेगा मनोज सिन्हा भविष्य

चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में आया तो मिलेगा प्रमोशन

केंद्रीय मंत्री से लेकर किसी बड़े ओहदे की मिलेगी जिम्मेदारी

अभी 2029 तक गाजीपुर की सियासत में चलता रहेगा सिन्हा का जादू

अपने पैतृक गांव मोहनपुरा में मौजूद रहे एलजी मनोज सिन्हा

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणाम पर एलजी मनोज सिन्हा का सियासी भविष्य एक बार फिर टिक गया है। भाजपा मनोज सिन्हा द्वारा कराए गए विकास कार्यों के बदौलत वहां पर चुनाव मैदान में हैं।

धारा 370 हटने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बेहद गंभीर और चिंतित है। अगर परिणाम भाजपा के पक्ष में आए तो सिन्हा को राज्यसभा के रास्ते केंद्र में बड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिलेगी। हार के बाद उनके भविष्य का फैसला अमित शाह के पास चला जाएगा। आज बुधवार को वह मोहनपुरा में ठाकुरजी के कीर्तन के बहाने भण्डारा में आये थे।

गाजीपुर से तीन बार लोकसभा के सदस्य और एक बार केंद्र में मंत्री रहे मनोज सिन्हा पीएम मोदी एवं अमित शाह के बेहद विश्वासपात्रों में गिने जाते हैं। जब मनोज सिन्हा गाजीपुर लोकसभा से 2014 में सांसद बने तो उन्हें केंद्र में रेल राज्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने विकास की गंगा भी बहाई। मगर अब यह विकास बीते जमाने की बात हो गया है। विकास के नाम पर गाजीपुर में कुछ नहीं हुआ। टूटी सड़कें ही गाजीपुर की पहचान बनकर रह गई हैं। जिले में कोई ऐसी सड़कें नहीं हैं, जो बदहाली की कहानी न कहती हों।

खैर मनोज सिन्हा के एलजी बनने के बाद उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर पर काफी मजबूत हुई है। उन्होंने अपने सियासी जीवन काल में कभी भी प्रदेश स्तरीय राजनीति नहीं की। देश की राजनीति करते रहे। यही वजह रही कि उनकी मुलाकात तब के भाजपा नेता और अब प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी से हुई। जो उन्हें आज करीब लाकर खड़ी कर दी है।

भले ही मनोज सिन्हा 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए। 2022 का चुनाव उनकी पसंद के कैंडिडेट भी हार गए। फिर जब 2024 की बारी आई तो जिस पारसनाथ राय को उन्होंने भाजपा का उम्मीदवार गाजीपुर से बनवाया और निश्चित तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच में कभी गए नहीं सिर्फ मनोज सिन्हा का चुनाव प्रचार देखते रहे, ऐसे उम्मीदवार को मैदान में भाजपा ने सिर्फ मनोज सिन्हा के कहने पर उतरा था।

जब चुनाव परिणाम आए तो चौंकाने वाले रिजल्ट थे। सिन्हा ने चुनाव के दौरान मंदिरों और स्कूल के मंदिरों के दर्शन किए। लोगों को सियासी इशारे किए। वह ऐसा कई दिनों तक करते रहे। फिर भी जब चुनाव परिणाम आए तो बीजेपी हार चुकी थी।

बुलडोजर चलने के बावजूद अफजाल अंसारी तीसरी बार गाजीपुर से सांसद निर्वाचित हुए। अब सवाल उठता है कि क्या मनोज सिन्हा का जम्मू कश्मीर के चुनाव परिणाम के बाद दायित्व बदलेगा या फिर वह वहीं पर रहेंगे। जब वह बुधवार को अपने पैतृक गांव मोहनपुरा आए तो यह चर्चा होती रही कि आखिर मनोज सिन्हा का भविष्य अगला क्या होगा।

मोहनपुरा में उन्होंने ठाकुर जी के मंदिर में झाल बजाया। उनके साथ उनके बेटे अभिनव सिंह भी थे। यहां पर जन्माष्टमी के पर्व के बाद लोगों को भंडारा यानी भोज कराया जाता है। इससे पहले डोल लेकर पूरे गांव में घूमे। जिसमें सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

आज शाम को ही कश्मीर के लिए रवाना हो जाएंगे। जहां पर विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। जिसका परिणाम नवंबर में आएगा। फिर मनोज सिन्हा जाते-जाते गाजीपुर की सियासत में कई सवाल छोड़ गए।

उन्होंने यह जरूर जता दिया कि अभी हमारा काम 2024 नहीं 2019 में भी खत्म नहीं होगा। और मेरी अहमियत बरकरार रहेगी। उनके इस इशारे के बाद भाजपा में जो नेता अपनी नर्सरी तैयार कर रहे हैं 2027 की उनको एक बार फिर एक तरह से सांप सूंघ गया। क्योंकि बिना मनोज सिन्हा की सहमति के बिना एक पत्ता तक नहीं हिल सकता।

साथ ही भाजपा गाजीपुर में कोई भी निर्णय नहीं ले पाएगी। इस दौरान इंजीनियर अरविंद राय, भाजपा जिला अध्यक्ष सुनील सिंह, भाजपा मीडिया प्रभारी शशिकांत शर्मा सहित कई ब्लॉकों के ब्लॉक प्रमुख व भाजपा के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।



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