ये जीजा! हम तुम राजी तो क्या करेंगे काजी
0जीजा साले की मुहब्बत ने समाज को दिखाया आईना
0खेमों में बंटे लोगों के आंखों की अचानक खुल गई पट्टी
0बैंक के उद्घाटन में जीजा की मुस्कुराहट ने दिए हैं संकेत
अजीत केआर सिंह, गाजीपुर।
ये जीजा हम तू राजी त का करिए काजी...। जीजा साले के रिश्ते में फुट डालो राजा करो वालों के दिल पर शुक्रवार की दोपहर जब एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो सांप लोटने लगा। जीजा मुस्कुराकर ताली बजा रहे थे और उनके रिश्तेदार के चेहरे पर भी रिश्तों की नई मिठास से खुशी नजर आई।
यह तस्वीर देखने के बाद दो खेमों में बंटे लोगों ने यह सोच लिया कि कभी खास रिश्तों के बीच कान भरना अच्छी बात नहीं होती। हालांकि दोनों खेमों के लोगों को संतोष हो गया कि अब उम्मीद की नई किरण एक बार फिर रिश्तों में नई मजबूती लेकर आएगी और हम लोगों के दिन बहुरेंगे।
जीजा साले कभी एक थे और भविष्य में भी एक रहेंगे।
मगर सियासत ऐसी जालिम है कि मियां बीबी में भी खटास पैदा कर देती है, यह तो जीजा साले का ही रिश्ता है। सबसे खास बात यह है कि सियासत में ऊँचे पदों पर जाने के बाद चरण चापन करने वाले लोग अपने लीडर की कहो वाह करके भाटगिरी करने लगते हैं और सियासतदान के आँखों पर काली पट्टी बंध जाती है और वह तब अपने लोगों से भी भिड़ने से चुकता नहीं है। यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ। जब जीजा की मेहनत से साले को नया मुकाम मिला तो डाक्टर की भावनाएं भी हिलोरे मारने लगी।
वह भी चुनाव मैदान में कूद गए। यह बात जीजा को नागवार गुजरी तो उन्होंने कई इलाकों की बत्ती बुझा दी। बत्ती बुझी तो घुप अंधेरा हो गया। जो जहां जाता वहीं भिड़ जाता। यानि हर तरफ भिड़ने की आवाज आने लगी। कोई नशे वाली दुकान को लेकर भिड़ गया तो कोई जांच के नाम पर भिड़ रहा था। जीजा साले के दोनों गुटों के लोग कभी एक थे। और जीजा जब सपा सरकार के उम्मीदवार के खिलाफ 2016 में कूदे थे तो जीजा की पुरानी टीम ही उनका साथ दी और हर जगह लड़ी थी।
जीजा के साथ रहने वाले लोगों की सोच यह थी साले साहेब के चेयरमैन बनने के बाद हम लोगों के दिन बहुरेंगे , मगर जीत का सेहरा पहनने के कुछ महीनों बाद ही जीजा साले में महाभारत छिड़ गई। जुबानी मिसाइलें दागी जाने लगी। लोग दो खेमों में बंटने लगे। एक तरह से यूक्रेन साला था तो रूस जीजा थे। यूक्रेन के साथ अमेरिका था, जिससे साला हमेशा दूसरे दूसरे देशों से मिसाइले लाकर जीजा के फाइटर युद्धक विमानों को हवा में मार दे रहा था। इसको लेकर जीजा भी परेशान हो गए थे। दोनों की पार्टी से लेकर समाज में खूब किरकिरी हुई।
हर तरफ दोनों के सियासी युद्ध की चर्चा हुई। एक बार जीजा ने तो बैलास्टिक मिसाइल दागने की सोची, फिर जीजा के साथ रहने वाला मछरिया ने हाथ पकड़ लिया। कहा कि ना ना ना। ई गलती ना होखे के चाही। ऐसा कहा जा रहा है कि मछरिया ही जीजा का रोज ऑफिस पहुंच कर कान भरता था साले के खिलाफ। जीजा के घर वालों को मछरिया फूटी आंख भी नहीं सुहाता। खैर इन दोनों का आपसी मनमुटाव काफी लंबा खिंचा। इन दोनों का सियासी और सामाजिक नुकसान हुआ। इन दोनों के झगड़ों की गूंज महाराज जी के कानों तक सुनाई देने लगी। इन दोनों के झगड़ों के बीच राधेमोहन ने बाजी मार लिया और एक वर्ष में कई बार महाराज जी से मिलकर सियासी रूख बदलने की पूरी कोशिश भी किए।
राधेमोहन यहीं नहीं रूके। उन्होंने एकदम आगे बढ़कर क्लीन बोल्ड करने के लिए राधेमोहन की तरफ आ रही वाल पर सिक्सर लगा दिया। तभी तो महाराज जी करमपुर आये तो भीड़ देखकर गाजीपुर की सियासत में अचानक सब कुछ बदल गया। उसी दिन तय हो गया था कि अब जीजा साले की लुकाछुपी का खेल समाप्त होगा और दोनों धीरे धीरे सियासत में नई दोस्ती की तुरपाई शुरू करेंगे। ताकि राधेमोहन के भाजपा में आने के बाद दोनों उनसे सियासी रूप से आगे जा सकें। क्योंकि तीनों सैदपुर के इलाके से आते हैं। कभी इस इलाके की गोलियों की तड़तड़ाहट की गूंज पूरे पूर्वांचल में सुनाई देती थी। राधेमोहन की कोशिश होगी की जीजा साले की सियासी दोस्ती की गांठ खोलकर अपनी राजनीति चमकाते रहें।
तभी तो शुक्रवार का नजारा अफीम फैक्ट्री के पास खुले आईसीआईसीआई बैंक के उद्घाटन के दौरान देखने को मिला। उनकी रिश्तेदार का रूख बदला हुआ था। दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट के भाव थे। जीजा ताली बजा रहे थे। रिश्तेदार मोमबत्ती जलाकर आने वाले दिनों की बेहतरी की कामना कर रही थीं। यह सब देखकर रिश्तेदार के भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यानि सब कुछ अब आने वाले दिनों में आल इज बेल होगा, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में सियासी सपनों को फील गुड में बदला जा सके। इस दौरान ठेकेदार विनोद राय, पूर्व चेयरमैन विनोद अग्रवाल, राजन सिंह और अखिलेश सिंह के अलावा काफी संख्या गणमान्य लोग मौजूद रहे।