मनोज सिन्हा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की तैयारी
0गृहमंत्री अमित शाह की बताए जा रहे हैं पहली पसंद
0निर्विवाद छवि के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष का मिलेगा ताज
0सुनील बंसल व विनोद तावड़े को पीछे छोड़ चुके हैं सिन्हा
0दिसंबर महीने में भाजपा को मिल जाएगा नया अध्यक्ष
अजीत केआर सिंह, नई दिल्ली। गाजीपुर के तीन बार सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री और मौजूदा समय में जम्मू एवं कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा का एक बार फिर भाग्य उदय होने वाला है। भाजपा उन्हें अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। वह गृहमंत्री अमित शाह की पहली पसंद बताए जा रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में शामिल सुनील बसंल, बीएल संतोष, विनोद तावड़े और अनुराग ठाकुर को मनोज सिन्हा पीछे छोड़ चुके हैं। दिसंबर महीने में होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भाजपा करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के भरोसेमंद मनोज सिन्हा के सियासी सफर पर एक नजर दौड़ाई जाए तो मुहम्मदाबाद तहसील के मोहनपुरा गांव के निवासी हैं। एमटेक डिग्रीधारी मनोज सिन्हा बीएचयू छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने गाजीपुर लोकसभा से पहला चुनाव वर्ष 1984 में लड़ा था। मगर उनको पहली बार 1996 में सफलता हासिल हुई और वह सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद वह वर्ष 1999 में सांसद बने। तीसरी बार वह 2014 में सांसद बनकर केंद्र की मोदी सरकार में रेल राज्यमंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने गाजीपुर में बीस हजार करोड़ का विकास कार्य कराए। मगर वर्ष 2019 के लोकसभा में उन्हें मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी से मात खानी पड़ी।
एक वर्ष बाद 2020 में उन्हें जम्मू एवं कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। तब से लेकर अब तक वह इस पद को सुशोभित कर रहे हैं। देखा जाए तो अपने जीवनकाल में मनोज सिन्हा ने कुल 9 चुनाव लड़े। जिसमें तीन चुनाव में ही उन्हें विजय श्री हासिल हुई। सियासत के धैर्यवान पुरूष के रूप में विख्यात मनोज सिन्हा ने 1984 से लेकर अब तक भाजपा को ही अपनी मां समझा। कई उतार चढ़ाव आए, लेकिन मनोज सिन्हा ने भाजपा का दामन नहीं छोड़ा। संघर्ष के समय नरेंद्र मोदी के नजदीक पहुंचे मनोज सिन्हा का भाग्य तब उदय हुआ जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। वर्ष 2014 से लेकर मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के करीबी हैं।
इसलिए जम्मू जैसे राज्य का उपराज्यपाल बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें बड़ा सम्मान मिला। जब नरेंद्र मोदी गाजीपुर आए तो उन्होंने कहा कि देश के मोर मुकुट को गाजीपुर का लाल मनोज सिन्हा संभाल रहे हैं। इधर भाजपा में सदस्यता अभियान का समापन हो रहा है। ऐसे में देश में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि आखिर भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा। इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष, सुनील बसंल, विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री रह चुके अनुराग ठाकुर का नाम भी चर्चा में है। इन नामों के इतर एक नाम संघ से लेकर भाजपा में तेजी से गूंज रहा है। वह नाम है मनोज सिन्हा का।
भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों के हवाले से जो खबर छनकर सामने आ रही है कि जम्मू एवं कश्मीर में उपराज्यापाल का कार्यकाल अब मनोज सिन्हा का पूरा हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में मनोज सिन्हा को नई जिम्मेदारी मिलेगी। सबसे पहले उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चर्चा चल रही है। उन्हें इस पद के लिए शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से बेहतर मानकर चल रहा हैै। उनके नाम पर प्रधानमंत्री की भी सहमति मिलने के आसार हैं। साथ में गृहमंत्री की वह पहली पसंद बताए जा रहे हैं। बेदाग छवि के मनोज सिन्हा अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो राजनाथ सिंह के बाद वह पूर्वांचल के ऐसे दूसरे नेता होंगे जो गाजीपुर होंगे।
अगर ऐसा होता है तो यह गाजीपुर के लिए गौरव की बात होगी। जो विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे। राजनीति के जानकार मानते हैं कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चेहरा तय करेंगे। अगर भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणाम आए तो मनोज सिन्हा की राह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में काफी हद तक आसान हो जाएगा। वरना भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी पिछड़े नेता को इस पद पर भेज सकता है। इसमें यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्या पूरी तरह से फिट साबित होंगे।
दक्षिण को भी साध सकती है भाजपा
भाजपा ने ने 15 दिसंबर तक नया अध्यक्ष चुनने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश संगठनों से कहा गया है कि दिसंबर के पहले हफ्ते तक अपने यहां संगठन चुनाव पूरा कर लें, ताकि राष्ट्रीय के अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी की संवैधानिक जरूरतों को पूरा किया जा सके। वाजपेयी सरकार के दौरान दक्षिण भारत से तीन शख्स राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। बंगारू लक्ष्मण, जना कृष्णामूर्ति और वेंकैया नायडू। मोदी के दो कार्यकाल में राष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तर और पश्चिम भारत के रहे। फिलहाल भाजपा के दक्षिण के दिग्गज नेताओं में प्रहलाद जोशी, एल मुरुगन, जी. किशन रेड्डी, के. अन्नामलाई, के. ईश्वरप्पा, निर्मला सीतारमण शामिल हैं। हो सकता है कि पार्टी इन्हीं में से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए। पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने के लिए संसदीय बोर्ड के सदस्य के. लक्ष्मण को प्रभारी बनाया है। अध्यक्ष के चुनाव से पहले जरूरी आम सदस्यता अभियान का काम पूरा हो चुका है। सक्रिय सदस्य बनाने की प्रक्रिया भी इसी महीने पूरी हो जाएगी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बने तो केंद्र में मंत्री बनना तय
अब सवाल उठता है कि जब मनोज सिन्हा राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी कारण से नहीं बने तो उनकी भाजपा में क्या भूमिका होगी। क्योंकि जम्मू में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसी परिस्थितियों में मनोज सिन्हा को राज्यसभा के रास्ते केंद्र में रेल मंत्री बनाकर देश में हो रहे रेल हादसों को रोकनी बड़ी कवायद केंद्र सरकार कर सकती है। बीएचयू से एमटेक डिग्रीधारी मनोज सिन्हा रेल राज्यमंत्री की भी जिम्मेदारी केंद्र में बखूबी संभाल चुके हैं।