मनोज सिन्हा के सितारे गर्दिश में

नई दिल्ली। प्रकाश झा की रिपोर्ट। ऐसा लग रहा है कि केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। पिछले एक पखवारे में आधा दर्जन से अधिक रेल हादसों के बाद विरोधियों के निशाने पर रहने वाले केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को अब पीएम मोदी ने भी झटका दिया। शनिवार की शाम अचानक दिल्ली से बुलावा आया तो समर्थकों के चेहरे खिल पड़े। हर किसी को बस यही लग रहा था कि मनोज सिन्हा का प्रमोशन पक्का हो गया है। लेकिन रविवार की सुबह होते-होते खुशियां काफूर हो गई। मंत्रिमंडल में उन्हें प्रमोशन तो नहीं मिला, अलबत्ता अब अपने से ‘जूनियर’ के नीचे काम जरूर करना पड़ेगा। सोशल मीडिया पर चर्चा में रहे। सिन्हा को लेकर पूरे दिन चर्चा चलती रही। किसी ने उनके गाजीपुर दौरे को अशुभ बताया तो कोई ये कहता रहा है कि लगातार हो रहे हादसों के चलते उनका प्रमोशन रुक गया। यही नहीं कुछ लोगों का मानना था कि मनोज सिन्हा आरएसएस के निशाने पर हैं। संघ नहीं चाहता है कि मनोज सिन्हा का कद बढ़े लिहाजा संघ ने एक बार फिर से वीटो लगाया और उनका प्रमोशन रोक दिया। खैर हकीकत क्या है ये सिर्फ मोदी और अमित शाह की जोड़ी ही बता सकती है। दरअसल विधानसभा चुनाव के बाद भी मनोज सिन्हा का नाम सीएम की रेस में उछला था। मनोज सिन्हा पर भारी पड़े पीयूष गोयल चर्चा का दौर सिर्फ मनोज सिन्हा के प्रमोशन तक ही सीमित नहीं था। रेल मंत्रालय की कमान जिस तरीके से पीयूष गोयल को सौंपी गई, उसे लेकर भी विरोधी चुटकी लेते हुए दिखे। विरोधियों के मुताबिक अब मनोज सिन्हा को अपने से जूनियर के नीचे काम करना पड़ेगा। विरोधियों का ये तर्क था कि मनोज सिन्हा का राजनीतिक कद पीयूष गोयल से कहीं बढ़ा है। मनोज सिन्हा तीन दशक से राजनीति में हैं। तीन बाद सांसद चुने जाने के साथ ही उपस्थिति के उच्च आंकड़ों के साथ वे 13वीं लोक सभा के बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले सदस्यों में से एक रहे। उन्होंने बीएचयू से एम.टेक की डिग्री ली है। छात्र जीवन से उनका राजनीतिक से गहरा लगाव रहा। बावजूद इसके पीएम मोदी ने रेलवे की कमान उन्हें देने के बजाय पीयूष गोयल पर अधिक विश्वास दिखाया। दरअसल इसके पीछे की वजह भी बढ़ी है। साल 2014 के चुनाव के दौरान गोयल को प्रचार, विज्ञापन और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को साधने की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और पार्टी आलाकमान की नजर उन पर पड़ी। वह एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट और इंवेस्टमेंट बैंकर भी रह चुके हैं। साल 2016 में कैबिनेट फेरबदल के दौरान गोयल के नाम पर चर्चा हुई थी। पीयूष गोयल को इतना अहम मंत्रालय यूं ही नहीं मिला। बतौर ऊर्जा मंत्री उन्होंने शानदार काम किया। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीजेपी आलाकमान ने महसूस किया कि उन्होंने ऊर्जा और कोल क्षेत्र में सुधार लागू करने में बेहतरीन काम किया है। बिना किसी भ्रष्टाचार के कोयला ब्लॉक का आवंटन भी उन्हीं की देखरेख में किया गया था। इसको लेकर उनके लोग परेशान हैं।



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