भारत की दरियादिली की कद्र करे पाकिस्तान

पाकिस्तान एक बार फिर अपने वादे से मुकर गया है। उफा में जारी संयुक्त बयान से उसका यू-टर्न लेना इस बात का पुख्ता संकेत है कि भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते बनाने की उसकी मंशा नहीं है। करीब एक साल पहले विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द होने के बाद दोनों देशों के बीच जो गतिरोध बना था उसे तोड़ने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपना हाथ आगे बढ़ाया।

दोस्ती के इस हाथ को पाकिस्तान ने थामा तो जरूर लेकिन साथ-साथ चलने की जगह उसने वादा खिलाफी कर दी। रूस के शहर उफा में गत 10 जुलाई को भारत और पाकिस्तान की ओर से जारी संयुक्त बयान में इस बात का उल्लेख किया गया कि दोनों देश आतंकवाद के सभी रूपों से मिलकर लड़ेंगे। बयान के मुताबिक दोनों देश मुंबई हमलों (26/11) के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के तौर-तरीकों पर बातचीत करेंगे। साथ ही पाकिस्तान इस हमले के मास्टर माइंड एवं लश्करे तैयबा के आतंकी जकीउर रहमान लखवी की आवाज का नमूना उपलब्ध कराएगा। बयान में दोनों देशों के बीच एनएसए स्तर की बातचीत शुरू करने और विश्वास बहाली के उपायों जैसे गिरफ्तार मछुआरों की रिहाई एवं पर्यटन के विस्तार पर भी सहमति बनी।

संयुक्त बयान के जारी होने से ऐसा लगा कि दोनों देशों के बीच जमी रिश्तों की बर्फ पिघलेगी और आने वाले समय में बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान ढूंढने के प्रयास किए जाएंगे। लेकिन साझा बयान के 72 घंटे के बाद पाकिस्तान अपनी बात से मुकर गया। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं विदेश मामलों पर पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने साफ-साफ कहा कि एजेंडे में जब तक कश्मीर का मुद्दा शामिल नहीं होगा तब तक भारत के साथ कोई वार्ता नहीं होगी। यही नहीं, जकीउर रहमान लखवी की आवाज का नमूना उपलब्ध कराने की बात से भी पाकिस्तान पलट गया। पाकिस्तान का यह कदम क्षेत्र से आतंकवाद खत्म करने के उसके प्रयासों एवं दावों पर सवाल खड़ा करता है। भारत ने हालांकि, अजीज के बयान को ज्यादा तवज्जो न देते हुए साफ कर दिया है कि वह संयुक्त बयान के आधार पर ही आगे बढ़ेगा।



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