एलजी मनोज सिन्हा बोले, वाह तिवारी जी आपने कमाल कर दिया

0एलजी मनोज सिन्हा के उद्घाटन करते ही गोपीनाथ का हुआ भाग्य उदय

0बीस ढाई दशक पहले सांसद के रूप में मनोज सिन्हा ने किया था उद्घाटन

0दो दशक से शिक्षा का आईकान बना चुका है गोपीनाथ पीजी कालेज

0छह कमरों से शुरू हुआ सफर, आज दो सौ से अधिक हो चुके हैं कमरे

0पिछले दिनों जब मनोज सिन्हा एलजी बनकर आए तो विकास देख रह गए दंग

गाजीपुर। वह साल 2001 का था। तब जिले में बहुत कम ही महाविद्यालय हुआ करते थे। छात्र छात्राओं को स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के लिए पड़ोस के जिले मऊ जाना पड़ता था। कासिमाबाद ब्लाक में एक या दो ही महाविद्यालय संचालित थे। गोपीनाथ पीजी कालेज सलामतपुर के संरक्षक राकेश तिवारी ने उस समय महज छह कमरों से महाविद्यालय की शुरूआत की। 2001 में बतौर सांसद के रूप में उन्होंने मनोज सिन्हा को महाविद्यालय के उद्घाटन के लिए बुलाया।

उन्होंने उद्घाटन भाषण के दौरान कहा था कि यह महाविद्यालय निश्चित तौर पर बड़े होकर युवाओं के सपनों को सच करेगा। मगर मनोज सिन्हा के जाते ही गांव वाले कहने लगे कि तिवारी जी इन कमरों में भूसा रखेंगे। गांव वालों की बातों को तिवारी जी की पत्नी डा. सुधा त्रिपाठी ने चुनौती के रूप में लिया। जब बीते चार मई को जम्मू एवं कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा विकसित भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रासंगिकता विषय गोष्ठी को संबोधित करने आए तो वह हैरान थे। छह कमरों वाला यह कालेज दो सौ से अधिक कमरों का बड़ा समूह बन चुका था। उन्होंने अपने भाषण में राकेश तिवारी के इस कठिन परिश्रम को सलाम किया और कहे कि यह सच है कि कड़ी मेहनत के बूते कोई भी चुनौती स्वीकार की जा सकती है।

कासिमाबाद ब्लाक के सलामतपुर गांव निवासी राकेश तिवारी के पिता स्व. रामजी तिवारी गांधी मेमोरियल इंटर कालेज बहादुरगंज में शिक्षक थे। वह शिक्षा को लेकर बेहद सख्त थे। उनके बेटे राकेश तिवारी पूर्वांचल विद्यालय जौनपुर में लिपिक के रूप में कार्यरत थे। उनका विवाह मऊ जनपद निवासी डा. सुधा त्रिपाठी के साथ हुआ था। उनकी एक पुत्र और एक पुत्री है।

वर्ष 2000 में इंटर के बाद स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के लिए बेटियों को बस से दूसरे जिले में जाना पड़ता था। तब डा. सुधा त्रिपाठी ने अपने पति राकेश तिवारी से कहा कि क्यों न हम लोग एक महाविद्यालय की स्थापना करें। अपनी पत्नी की बात राकेश तिवारी को पसंद आ गई। यह ख्याल आया तो उनके श्वसुर गोपीनाथ त्रिपाठी के पास सभी लोग गए और इस पर बात हुई। रिश्तेदारों के सहयोग से छह कमरों का महाविद्यालय बना, वह भी गांव में। जब गांव में महाविद्यालय की नींव पड़ रही थी तो तिवारी जी को कुछ गांव के लोगों ने सलाह दी कि गांव में कहीं महाविद्यालय चलता है क्या। आप अपना पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं। राकेश तिवारी को यह बात लग गई।

उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि जो भी कुछ हो जाए। यहां तक की वह अपना सब कुछ बेचकर महाविद्यालय खोलेंगे। जब महाविद्यालय तैयार हो गया तो उस समय के ईमानदार भाजपा के सांसद थे मनोज सिन्हा। उनको खबर दी गई तो वह आए और महाविद्यालय का फीता काटकर शुभारंभ किया। धीरे धीरे राकेश तिवारी और सुधा त्रिपाठी की कड़ी मेहनत ने आज गोपीनाथ पीजी कालेज सलामतपुर को जिले के टाप महाविद्यालयों में शुमार कर दिया। इस महाविद्यालय में बीएड, बीटीसी से लेकर वह सभी कक्षाएं संचालित हो रही हैं जो किसी जमाने में बनारस या गाजीपुर के साथ ही दिल्ली और छोटी राजधानी में होती थीं। आज इस कालेज में करीब दस हजार से अधिक छात्र छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं।

छह विद्यालय वाला यह कालेज दो सौ से अधिक कमारों वाला कालेज बन चुका है। पिछले दिनों जब एलजी मनोज सिन्हा ने संगोष्ठी को संबोधित करने पहुंचे तो उनका स्वागत कई हजार छात्र छात्राओं के साथ ही स्थानीय नागरिकों ने महानायक के रूप में किया। उन पर फूल बरसाए गए। ढोल नगाड़ों से स्वागत किया। अभिनंदन पत्र दिया गया। लजीज मिठाइयां परोसी गई। जब मनोज सिन्हा के मुंह में गोपीनाथ पीजी कालेज की काजू वाली मिठाइयां घुल रही थीं तो वह मंद मंद मुस्कुरा रहे थे। मन ही मन कहा कि वाह तिवारी जी वाह... आपने तो कमाल ही कर दिया। उन्होंने मंच से भी दोनों पति पत्नी की तारीफ की।

इस विद्यालय से जो छात्र नौकरी कर रहे हैं या फिर नई उचाइयों तक पहुंच चुके हैैं उनको भी एलजी ने अपने हाथों सम्मानित किया। इस दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति आलोक राय, डा. सानंद सिंह, इंजीनियर अरविंद राय, सदस्य लोकसेवा आयोग प्रयागराज प्रो.आरएन त्रिपाठी भी मौजूदगी रही। राकेश तिवारी के पुत्र एवं महाविद्यालय के निदेशक शिवम त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार जताया।



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