अफीम ट्रांसपोर्टिंग घोटाले की जांच में लीपापोती की तैयारी

0अभी तक फैक्ट्री के जीएम ने नहीं शुरू कराई कोई जांच

0सवर्ण विकास मंच ने जीएम से जांच कराने की थी मांग

0खराब अफीम की ट्रांसपोर्टिंग में हुआ था लाखों का घोटाला

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। एशिया की सबसे बड़ी ओपियम फैक्ट्री में अब घोटाले का धुंआ चारों ओर फैलने लगा है। खराब अफीम की ढुलाई के नाम पर खर्च की गई लाखों की रकम की जांच अभी तक मुख्य नियंत्रक वित्त नई दिल्ली के आदेश के बावजूद शुरू नहीं हो सकी है।

इसको लेकर सवर्ण विकास मंच कायस्थ विंग के संगठन महामंत्री एवं शिकायतकर्ता अनिल कुमार श्रीवास्तव ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल करने की चेतावनी दी है। उन्होंने दावा किया है कि अगर जांच हुई तो जीएम से लेकर भुगतान करने वाले अफसरों की गर्दन नपनी तय है। इसको लेकर फैक्ट्री में एक बार फिर हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

बतादें कि बीते वर्ष सितंबर से अक्तूबर के बीच कचरा होकर खराब हुई अफीम को जलाने का आदेश वित्त मंत्रालय के अफसरों ने दिया था। इसके लिए यहां के फैक्ट्री प्रबंधन ने डाला सीमेंट फैक्ट्री सोनभद्र के अफसरों से एक समझौता किया। उसके अनुसार दर्जनों ट्रकों में लदकर खराब अफीम का कचरा डाला सीमेंट फैक्ट्री में गया। इसका ट्रक भाड़ा उम्मीद से अधिक दिखाया गया।

इसके साथ ही डीसीएम भी किराए पर लिए गए। बाजार मूल्य से अधिक भाड़ा और सैकड़ों चक्कर दिखाकर फैक्ट्री के अफसरों ने ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर लाखों रूपये गटक लिए। यह खेल हर वर्ष होता रहा। इसकी जानकारी तब हुई जब एजुकेशन कार्ड की मांग कर रहे सवर्ण विकास मंच कायस्थ विंग के प्रदेश संगठन मंत्री अनिल कुमार श्रीवास्तव गुड्डू ने बीते 8 अप्रैल को आरटीआई के माध्यम से प्रबंधन के साथ ही दिल्ली में बैठे वित्त मंत्रालय के अफसरों से लिखित में जवाब मांगा।

यह पत्र जैसे ही मंत्रालय के साथ ही फैक्ट्री के अफसरों तक पहुंचा, सभी के हाथ पांव फूल गए। क्योंकि सब कुछ रिकार्ड में है। जबकि अधिक ट्रकों से ढुलाई दिखाकर पूरा पैसा सरकारी हजम कर लिया गया। बीस दिन से अधिक समय होने के बावजूद अभी तक वित्त नियंत्रक के आदेश के बाद भी जांच शुरू नहीं हो सकी है। सूत्रों की मानें तो प्रशासनिक अधिकारी दिलीप सक्सेना जांच कर रहे हैं। और उन पर अधिकारी लगातार जांच में लीपापोती का दबाव बना रहे हैं।

जबकि शिकायत कर्ता का कहना है कि इस घोटाले की जांच किसी बाहर के अफसर से कराया गया तो बड़ा घोटाला सामने आएगा। अफसरों ने अभी तक अनिल श्रीवास्तव के आरटीआई का भी जवाब नहीं दिया है। आरटीआई का जवाब नहीं मिलने से यह बात तो सच हो गई है कि कुछ तो गड़बड़ है। इसलिए अफसर कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं।

सवर्ण विकास मंच कायस्थ विंग के संगठन महामंत्री यूपी अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि वह अब सीधे वित्त मंत्री को पत्र लिखेंगे। वहां से भी न्याय नहीं मिला तो सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करके जांच का अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि फैक्ट्री में और भी कई घोटाले हैं जिससे पर्दा हटना अभी बाकी है।



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