युवराज ने की साहेब से मुलाकात

0युवराज को देखते ही साहेब के चेहरे पर आई मुस्कान

0पारस को पारस बनाने के लिए दोनों ने फिर मिलाया हाथ

0चुनाव जीतने पर साहेब की युवराज ने पकड़ी थी अंगुली

0हाई लेवल से मैसेज आने के बाद युवराज हुए थे नरम

024 को साहेब के आने पर दोनों दिख सकते हैं साथ साथ

सियासी मिलन

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। कश्मीर वाले साहेब और लहुरीकाशी की सियासत के युवराज की अगर आज के दौर में बंद कमरे में मुलाकात हो जाएगी कि तो हर कोई चौंक जाएगा। जी हां! जब साहेब से काशी के ताज होटल में मिलने युवराज पहुंचे तो साहेब की जुबान से निकल ही पड़ा, जो तुम बिछड़े हो जल्दीबाजी में यार तुम रूठ भी सकते थे...।

यह किसी शायर के शेर को जब उन्होंने पढ़ा तो युवराज मुस्कुराने से पहले पैर छूकर आर्शीवाद लिया। फिर साहेब की बातों को बड़े गौर से सुना। और बोले कि हम और आप एक साथ रहेंगे। ऐसा भी होगा कि साहेब जब 24 को कश्मीर की वादियों से काशी में लैंड करेंगे तो युवराज भी स्वागत की लाइन में खड़े दिखाई देंगे।

बात उन दिनों की है, जब टीपू की सूबे में सरकार थी। उसी वक्त उच्च सदन में जाने के लिए पंचायतों के वोटरों को लुभाया जा रहा था। इस पद के दो दावेदार थे। एक दोनों दाढ़ी का चेला औैर दूसरा युवा बिजनेसमैन। जिसकी किसी समय अपने चाचा के साथ लंबे लंबे बाल और सलमान खान वाला चश्मा लोगों को खूब पसंद आया करता था।

जब चेले ने पुराने दाढ़ी को छोड़ा तो नए दाढ़ी जमानियां वाले उसके गुरू हो गए। दूसरे गुरू घंटाल उसकी पैरवी कर रहे थे। जबकि युवा बिजनेसमैन की पैरवी टीपू के चाचा कर रहे थे। आखिरकार टीपू के चाचा की नहीं चली और दोनों गुरूओं के चेले को टिकट मिल गया। इधर युवा बिजनेसमैन को कुछ लोगों के साथ ही टीपू के चाचा ने कहा कि बेटा तुम निर्दल ही लड़ जाओ।

गाजीपुर के जिला प्रशासन को उस समय मैनेज करा दिया जाएगा। युवा बिजनेसमैन हिम्मत जुटाकर चुनाव मैदान में कूद पड़ा। तब उसके विजय रथ पर सवार थे बादशाह सलामत। बादशाह सलामत ने खूब मेहनत की। इस दौरान चेले के गुरू ने युवा बिजनेस से गुप्त समझौता कर लिया था। और अपने चेले को धोखे पर धोखा खूब दिया। जब परिणाम आया तो युवा बिजनेसमैन मामूली वोटों के अंतर से चुनाव जीत गया। युवा बिजनेस मैन अब युवराज बनने की कतार में खड़ा हो चुका था।

उस समय केंद्र में बीजेपी दहाड़ रही थी। 2017 का विधानसभा चुनाव आने वाला था। तभी युवराज ने सियासी हवा का रूख भांप लिया और कश्मीर वाले साहेब की अंगुली पकड़कर भगवाधारी हो गया। जब प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिल गया तो साहेब का नाम सीएम पद के लिए चलने लगा। मगर खेल कुछ और हो गया और बाबा सीधे मठ से निकलकर सीएम पद की शपथ ले लिए थे।

युवराज ने साहेब को धोबिया दांव लगाकर पटकर सीधे बाबा दरबार में पहुंच गया। यहां धीरे धीरे उसकी पूछ बढ़ गई और बाबा के आंखों का तारा हो गया। फिर क्या था। खाकी की फौज और युवाओं की दौड़ उसके पीछे चलने लगी। वह बाबा की बदौलत साहेब को चुनौती देने लगा। ऐसा साहेब के लोग कहते हैं कि 2019 में साहेब को बादशाह सलामत से हराने में युवराज ने भी भूमिका अदा की थी। तब से लेकर अब तक चल रही सियासी रार पारस को पारस बनाने की कहानी शुरू करने से पहले खत्म हो गई।

राजधानी से फोन आता है कि साहेब से मिलना है। साहेब की सियासी औकात किसी से छिपी नहीं है। वह भले ही मंदिर मंदिर दर्शन करने के बाद सातों को जीता नहीं पाए, लेकिन जिसको चाहा टिकट दिलाकर ही दम लिया। इसी सियासी औकात को भांपकर युवराज के कदम नवरात्र में ताज होटल की तरफ बढ़े। अंदर बाहर खाकी ही खाकी। सब खबरदार। जैसे ही सूचना मिली कि युवराज आएं हैं तो अंदर से मैसेज आता है कि साहेब ने बुलाया है। फिर क्या था।

जैसे ही युवराज ने देखा साहेब का शिष्टाचार में चरण स्पर्श किया। दोनों ने कड़क चाय की चुस्की ली। तब तक चाय के प्याले में सियासी तुफान आ चुका था। दोनों ने पुरानी सियासी अदावत को भूलकर पारस को पारस बनाने का संकल्प लिया। जैसे ही साहेब ने युवराज को विदा किया तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी। इधर युवराज भी मंद मंद मुस्कुराते हुए अपनी एजेंसी पर आ चुके थे। उन्होंने गहरी सांस ली और फिर मुंह में रजनीगंधा दबाया और मन ही मन सोचने लगे कि अब तो हर जगह मेरा नाम हो चुका है सियासत में अदावत साहेब से करना अब थीक नहीं है।

तभी तो वह गाजीपुर आए तो साहेब के विकास का बखान करते नहीं थक रहे हैं। उनकी जुबान पर अब सिर्फ साहेब का ही नाम है। 24 अप्रैल को जब साहेब 2024 का चौसर खेलने आएंगे तो साहेब के बगल में बैठे दिखाई दें तो इसे लहुरीकाशी की सियासत में बड़े बदलाव के तौर पर दिखने से मत चूकिएगा।



अन्य समाचार