बेटा! सब कुछ करना, मगर उन पर एतबार मत करना

0मेरे चालीसवें में परिवार के लोग गमजदा थे तो दिल रो पड़ा

0बेटा मेरे जनाजे के बाद तेेरे चेहरे पर सिर्फ उदासी देखी मैंने

0उनके लिए सब कुछ किया, मगर वह तो करते रहे सियासत

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। बेटा! आज मेरा चालीसवां है...। सभी गमजदा हैं। सभी के आंखों में आंसू देखकर मुझे अच्छा नहीं लगा। मगर बेटे तेरे चेहरे की उदासी ने मुझे रोने को विवश कर दिया। मेरे जनाजे के बाद से लेकर अब तक तू मुस्कुरा भी नहीं पाया। मगर वो तो खूब सियासत किए। बेटी को भी उतार दिया। किसी से पूछा तक नहीं। तुम सब पर एतबार कर लेना, मगर सियासी मामलों में उन पर कभी भरोसा मत करना।

मुझे पता है कि वालिद के खोने का गम सिर्फ बेटे को होता है। मैं भले ही कब्र में सो चुका हूं, मगर मेरी रूह हमेशा तुम्हें रूहानी ताकत देती रहेगी। तेरा भी नाम पूरे जहां में मशहूर हो जाएगा। बस तू गरीबों की सुनेगा तो तुझे खुदा हमेशा आगे बढ़ाता चला जाएगा। तुम भी मेरी तरह पूरी महफिल लूट लोगे।

बेटा मेरी कब्र पर आज चालीसवां के दिन सभी आए। भाभी से लेकर भइया भी आए। बेटी बेटियांे ने भी दुआ की। जिनको उन्होंने सियासत में उतार दिया, वह भी मेरी लाडली बेटी आई। वह भी गमजदा थी। सभी को मैं देख रहा था। और खुदा से पूछ रहा था कि आज इतनी भीड़ क्यों है। तब खुदा ने मुझे जगाया और बोले, आज तेरा चालीसवां है। तब मैं जल्दी से नहाया और तैयार हुआ। इत्र लगाया।

और कब्र में मूछों पर ताव देकर बैठ गया। मेरी रूह के लिए खुदा से दुआएं की गईं। सबको बड़े गौर से मैंने देखा। सभी को मैं सलाम तक किया। उनकी खैरियत जानी। मगर बेटा तू और तेरी भाभी आई तो मन किया कि तुम लोगों को सीने से लगा लूं। लेकिन खुदा की ऐसी बंदिशें थी कि मैं कब्र से आगे बढ़ नहीं पा रहा था। बेटा तेरी उदासी देखकर मेरी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मैं बदहवाश होकर कब्र में रोने लगा। मेरी कब्र आंसुओं से दरिया बन गई।

मैं कभी तेरी उदासी नहीं देखी थी। जब भी तुम कहते थे कि अब्बा मुझे भी कहीं आगे बढ़कर सियासत में उतार कर दीजिए तो मैं सिर्फ यही कहता था कि भैया हैं न, वह सब कुछ देख लेंगे। मेरे सामने उनकी अगर कोई शिकायत करता था कि मैं गुस्से में आकर उसको बेवकूफ तक बोल देता था। मगर मेरी मौत के बाद उन्होंने जो सियासी खेल खेला, उससे मेरी रूह दुखी हो गई। मैं रोने लगा। मुझे इस खेल पर भरोसा नहीं हो रहा था, मगर जब मैं बार बार देखा तो यह सच लगा कि भैया कितने बदल गए हैं।

वह अपनी बेटी को सियासी वारिस तक बना डाला। यह बदलाव मेरी मौत के बाद देखने को मिला। मेरी मौत के बाद तुम अकेले अपनी भाभी के साथ मुझे लेकर आए थे। उस समय मेरा कलेजा फट गया था। क्योंकि मेरी मौत पर तुम बिलख रहे थे। रो रहे थे। छटपटा रहे थे। काश आज अम्मी या फिर तेरा भइया होता तो सहारा देता। तुम लोगों का सफर मेरे साथ अंतिम बहुत ही गमजदा था। मेरे इंतकाल के बाद तुम लोग इतने अकेले हो जाओगे। मुझे उम्मीद नहीं थी। जब उन्होंने तेरी कजिन बहन को अपना सियासी वारिस बना दिया, तब तो मैं गुस्से में हो गया। आज उन्होंने खुद धोखा दिया तो धोखा पा गए।

उनका ख्वाब अब कभी सच नहीं होगा। कोर्ट कचहरी के चक्कर में वह दिल्ली भी नहीं पहुंच पाएंगे। क्योंकि उनकी सुनवाई लटक लटक कर होती रहेगी तो वो तारीख भी खत्म हो जाएगी। वह अपना अभिलेख भी जमा नहीं कर पाएंगे। मैंने तुम्हारे अंकल टीपू के सपने में आया था। उनसे कहा था कि आपकी पार्टी में मेरे बेटे को इंसाफ मिलना चाहिए। आज मेरे बेटे में मेरे चाहने वाले मेरा चेहरा देखते हैं। मेरे बेटा तू तभी मशहूर हो गया, जब तुमने मेरे जनाजा निकलने से पहले मुझे अंतिम विदाई दी और मेरी मूछों पर ताव दिया तो मुझे जन्नत नसीब हो गई।

हर वालिद चाहेगा कि तेरे जैसा बेटा हर किसी के घर जन्म ले। बेटा तुम कभी अफसोस मत करना और अकेले मत समझना। तेरे साथ मेरी रूह हमेशा तूझे साहस देती रहेगी। मैं यह भी जानता हूं कि तेरी अम्मी और तेरा भाई आज आंसू बहा रहे होंगे। तुम सबसे पहले अपने बड़े भाई की जमानत का इंतजाम करना। अम्मी को भी बुला लो। इस जमाने से और मेरे चाहने वालों से बोल दो कि फिर तेरा वालिद जन्म लेगा और उन गरीबों, असहायों और बेसहारा लोगों का सहारा बनेगा...। जिनके दिलों में मेरी रूह आज भी धड़कती है।

तब आंखों में आंसू लिए बेटा सिसकते हुए गुस्से में कहा कि अब्बा आपका सहारा इन लोगों के सिर से उठ गया होता तो इनकी आकौत सामने आ जाती है। अभी मैं गमजदा हूं, मुझे कुछ सूझ नहीं रही है, मगर जल्द ही टीपू अंकल से मिलकर वह सारी बातें बताउंगा जो आपने कही है। और आपके नाम को रोशन करने के लिए अपनी कुर्बानी भी मुझे कबूल है।



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