अफजाल अंसारी के इस प्लान से भाजपा सर्तक

0मुख्तार की मौत के बाद बेटी बनी अफजाल का सहारा

0मंदिरों में पहुंचकर किया कीर्तन, शिवचर्चा में ली हिस्सा

0अचानक नुसरत अंसारी की लांचिंग से विरोधी हुए हैरान

0गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल बन चुकी हैं नुसरत अंसारी

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। ऐसा पहली बार हो रहा है जब सांसद अफजाल अंसारी मुख्तार की अनुपस्थिति में पहला चुनाव लड़ेंगे। अपने वालिद की इस चिंता से वाकिफ और अंसारी परिवार की लाडली बेटी नुसरत अंसारी 2024 के सियासी रण में कूद गई। नुसरत की लांचिंग भी विरोधियों को हैरान कर गई। वह मुस्लिम बस्तियों में न जाकर सीधे मंदिरों में कीर्तन करने पहुंच गई।

यही नहीं भगवान भोले को खुश करने के लिए शिवचर्चा में भाग लिया। प्रसाद ग्रहण किया। महिलाओं का हाल चाल पूछा। उससे पहले नुसरत को खुद अफजाल ने मंदिरों में जाने के तौर तरीके से वाकिफ कराया। जैसे ही यह फोटो सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर वायरल हुई, भाजपा सर्तक हो गई। वह समझ गई कि अंसारी परिवार ने इमोशन कार्ड खेलकर हिन्दू वोटरों में सेंधमारी की बड़ी प्लानिंग कर दी है। हालांकि दो मई से हाईकोर्ट में अफजाल अंसारी के सजा के मामले में सुनवाई होगी। अगर सजा बरकरार रहती है तो नुसरत अफजाल की विरासत संभालने के लिए मोर्चा संभाल लेगी।

देखा जाए तो पांच बार विधायक दो बार सांसद रहे अफजाल अंसारी का कोई बेटा नहीं है। उनकी तीन बेटियां नुसरत, नूरिया और मारिया लाडली बेटी हैं। नूरिया और मारिया की शादी हो चुकी है। मगर नुसरत ने विवाह नहीं किया है। वह अविवाहित हैं। नुसरत अफजाल की सबसे बड़ी बेटी है। अंसारी परिवार में जब नुसरत का जन्म हुआ तो वह सभी के आंखों का तारा थीं। मरहूम मुख्तार के दो बेटे ही थे। इसी तरह से पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के भी दो बेटे ही हैं।

एक बेटा सोएब अंसारी मुहम्मदाबाद सीट से विधायक हैं। जबकि मुख्तार के बड़े बेटे अब्बास अंसारी भी विधायक हैं। चूंकि दोनों भाइयों की बेटियां नहीं होने के कारण नुसरत को मुख्तार बहुत मानते थे। नुसरत ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। सीएए को लेकर वह शाहिनबाग में नुक्कड़ नाटक में भी भाग ली थी। पिता की सियासत को बचपन से ही समझती थीं। उन्होंने पहले से ही सोच लिया था कि जब पिता राजनीति से सन्यास लेंगे तो उनकी वह विरासत संभालेंगी।

पिछले वर्ष जब अफजाल अंसारी को सजा हुई तो नुसरत के मैदान में आने की बात कही जा रही थी। मगर बाद में कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी। फिर अफजाल को सपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। मुख्तार की मौत के बाद अफजाल पूरी तरह से टूट गए। मगर बेटी ने उन्हें हौसला दिया। बोली, अब्बा हम आपके साथ हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब अंसारी परिवार की कोई महिला सार्वजनिक रूप से चुनाव प्रचार में शामिल हुई हैं।

कभी मुख्तार की बेगम के चुनाव लड़ने की चर्चा के दौरान अफजाल ने ही ना कहा था। अब ऐसी परिस्थिति बनी कि अफजाल अंसारी की मदद के लिए बेटी नुसरत मैदान में हैं। बीते सोमवार को जब नुसरत शहर कोतवाली क्षेत्र के मंदिरों में दिखाई दी और भगवान भोले का आर्शीवाद लेकर सोशल मीडिया पर अपनी फोटो किसी के जरिए भेजी तो सियासी जगत में भूचाल आ गया। तब लोगों ने कहा कि अफजाल अंसारी सियासत के जादूगर हैं। वह हर कदम पर सियासत में लाभ लेने के लिए ही आगे बढ़ते हैं। नुसरत को अफजाल अंसारी के वारिस के तौर पर देखा जा रहा है।

उनके दोनों भाइयों के बेटों ने वारिस के तौर पर मौजूदा समय में विधायक हैं। अगर नुसरत को अफजाल अपनी विरासत सौंपते हैं तो यह हैरानी की बात नहीं होगी। हालांकि अभी तक किसी ने नुसरत की सियासी तकरीर नहीं सुनी है। देखना होगा कि उनका भाषण उनके वालिद को लोकसभा चुनाव में कितना फायदा पहुंचाता है।



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