आशुतोष का संघर्ष पिता के लिए चुनाव में बनेगी संजीवनी

0भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष ने सपा सरकार के खिलाफ किया था आंदोलन

0वर्ष 2012 से 2016 तक भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रहते युवाओं के बने थे आईकान

0भाजपा प्रत्याशी पारसनाथ राय के चुनाव के लिए युवाओं को जगा रहे आशुतोष

0आशुतोष राय का दावा, डेढ़ लाख वोटों से हारेंगे सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। भाजपा युवा मोर्चा के कभी प्रदेश अध्यक्ष रहे भाजपा प्रत्याशी पारसनाथ राय के बड़े बेटे आशुतोष राय का संघर्ष उनकी जीत में संजीवनी का काम करेगी। अचानक आशुतोष का नाम चर्चा में तब आया जब उनके पिता पारसनाथ राय को भाजपा ने गाजीपुर से प्रत्याशी घोषित किया। पारसनाथ राय के चुनाव में आशुतोष का संघर्ष अब विजय की तरफ निकल पड़ा है।

जब यहां के सियासतदान पारस को कमजोर प्रत्याशी कहने लगे तब अचानक आशुतोष के संघर्ष की गाथा सुनकर युवा जोश से भर गए। लोगों ने कहा कि अब आशुतोष ने कमान संभाल ली है। इसका अंदाजा सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी को मतगणना के दिन पता चलेगा। आशुतोष का साफ कहना है कि पिता की जीत सपा के ताबूत की आखिरी किल साबित होगी।

जखनियां तहसील के सिखड़ी गांव निवासी पारसनाथ राय के बड़े बेटे आशुतोष राय वर्ष 2012 से 2016 तक भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे। उस समय भाजपा का नाम लेना वाला कोई नहीं था। लेकिन उन्होंने युवाओं में सपा सरकार के खिलाफ क्रांति लाकर सरकार की चूल्हें हिलाकर रख दिया था। जब राजधानी में उन्होंने सपा सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था तो उसम समय सैकड़ों पुलिस कर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे। आशुतोष पर लाठी चर्चा हुआ था। रबर बुलेट चली थी।

मिर्ची गैस के गोले से आंखें लाल हो गई थीं। इस दौरान गंभीर रूप से वह घायल हो गए थे। सरकार ने उनके खिलाफ दर्जनों मुकदमें दर्ज किए। इसके बाद फिर से गाजीपुर से लेकर गाजियाबाद तक आंदोलन हुए थे। युवा उन्हें अपना आदर्श मानने लगे थे। वह युवाओं में लोकप्रिय हो गए थे। वर्ष 2016 के बाद अचानक आशुतोष सियासी सिनेरियो से गायब हो गए। इसके पीछे की जो सियासत सामने आई उसे जानकार सभी हैरान थे। लेकिन अब फिर आशुतोष का नाम चर्चा में है।

उसकी वजह यह है कि संघ के सीनियर कार्यकर्ता और भाजपा नेता पारसनाथ राय को गाजीपुर लोकसभा से टिकट मिल गया। वह मैदान में हैं। उनके साथ दर्जनों गाड़ियों का काफिला है। जब उनके बड़े बेटे आशुतोष अपने पिता के लिए वोट मांगने युवाओं के पास पहुंचे तो लोगों ने उन्हें हाथों हाथ लिया। युवाओं को वह दिन आज भी याद है जब प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार नहीं थी।

भाजपा कमजोर हो गई थी। तब युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे आशुतोष संघर्ष के रथ पर सवार होकर सपा सरकार को ललकार रहे थे। उनके साथ हजारों युवाओं की फौज भी। गाजीपुर से युवा नेता हिमांशु सिंह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा था। वह सरकार के अत्याचार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। आशुतोष के इस संघर्ष की गाथा को युवा याद करके विपक्ष के उस कथन की हवा निकाल रहे हैं जिसमें यह कहा जा रहा था कि पारसनाथ राय कमजोर प्रत्याशी हैं।

भले ही पारस राय प्रत्याशी हैं। मगर भाजपा की पूरी टीम के साथ अगली धार पर खड़े होकर आशुतोष माफियावाद, गुंडावाद को जड़ से मिटाने के लिए कसम खाकर जीत की तरफ कदम आगे बढ़ा रहे हैं। आशुतोष का साफ कहना है कि इस बार सपा डेढ़ लाख वोटों से हारेगी। हम मनोज सिन्हा की हार का बदला भी लेंगे और अफजाल अंसारी को घर भेजकर ही दम लेंगे। जिले में मुख्तार की मौत की कोई सहानुभूति सपा को नहीं मिलने जा रही है।

मुख्तार ने अपने जीवनकाल में कितनी महिलाओं के सिंदूर को मिटाने का काम किया है यह सबको पता है। आशुतोष की चुनावी रणनीति से विपक्ष काफी सर्तक हो गया है।



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