भारत के आम चुनाव में एजुकेशन कार्ड का मुद्दा गुम

0सभी राजनीतिक पार्टियों ने सिर्फ लोक लुभावने वादे किए

0किसी भी दल ने छात्रों के एजुकेशन कार्ड की नहीं की बात

0सवर्ण विकास मंच देश में उठा रहा एजुकेशन कार्ड का मुद्दा

अजीत केआर सिंहगाजीपुर। देश में आम चुनाव की घोषणा हो चुकी है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियां अपने अपने तरकस से तीर निकालकर सत्ता हथियाने के लिए हर जुगत लगा रहे हैं। कोई किसानों के हक की बात कर रहा है तो कोई लोक लुभावने वादे कर रहा है। मगर किसी ने छात्रों के हित को ध्यान में रखकर अपने मैनफेस्टो में एजुकेशन कार्ड की बात नहीं कर रहा है। जबकि बदलते भारत को एजुकेशन कार्ड की सख्त जरूरत है।

लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी इस पर बात नहीं कर पा रही है। यहां तक की दस वर्ष तक देश पर राज करने वाली भाजपा भी एजुकेशन कार्ड के मुद्दे पर खामोश है। इस खामोशी को तोड़ने के लिए सवर्ण विकास मंच का आगाज हो चुका है। एक माह पहले बने इस गैर राजनीतिक संगठन को करीब एक करोड़ 14 लाख लोगों का बड़ा समर्थन मिल चुका है। गुगल करने पर सवर्ण विकास मंच को एक करोड़ से अधिक लोग देख चुके हैं।

मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह कहते हैं कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां पर शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त है। वहां की सरकार यहां तक की विदेशी छात्रों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करती है। बशर्ते संबंधित देश की भाषा का ज्ञान होना चाहिए। मगर भारत में मोदी सरकार ने दवाई का इंतजाम तो कर दिया लेकिन हायर एजुकेशन के लिए एजुकेशन कार्ड का इंतजाम तक नहीं किया। आइए जानते हैं कि कौन कौन देश हैं जहां की सरकार अपने आने वाली पीढियों के लिए निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है। एजुकेशन कार्ड के मुद्दे पर हमसे जुड़ने के लिए हमारे मोबाइल नंबर के वाट्सएप पर मैसेज कर सकते हैं। साथ ही इसकी लड़ाई लड़ने के लिए और सभी राजनीतिक पार्टियों खास तौर भाजपा के मैनफेस्टो में एजुकेशन कार्ड शामिल करने के लिए अभियान में हिस्सा ले सकते हैं। ताकि अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही विपक्षी दलों के नेता शामिल कराएं।

भारत में बच्चों को एजुकेशन दिलवाना दिन-पर-दिन महंगा होता जा रहा है। वहीं, दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जहां बच्चों को फ्री एजुकेशन दी जाती है या बहुत ही कम खर्च आता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही देशों के बारे में जहां स्टूडेंट्स को बिना पैसे खर्च किए पूरी शिक्षा मिलती है।

जर्मनी

जर्मनी एक ऐसा देश है जहां न सिर्फ स्थानीय स्टूडेंट्स, बल्कि विदेशी बच्चों को भी फ्री में एजुकेशन दी जाती है। यहां सरकारी यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स से ट्यूशन फीस के नाम पर भी फीस नहीं ली जाती है। हालांकि, कुछ विश्वविद्यालय 11,000 रुपये तक एडमिनिस्ट्रेशन फीस लेते हैं। इस देश में लगभग 300 गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज हैं, जो 1000 से ज्यादा स्टडी प्रोग्राम ऑफर करते हैं।

नॉर्वे

नॉर्वे में भी स्थानीय और विदेशी बच्चों को मुफ्त शिक्षा जी जाती है है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यहां स्कूल एजुकेशन से लेकर डॉक्टरेट तक की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स को एक रुपये भी फीस नहीं भरनी होती है। हालांकि, यहां पढ़ने आने वाले स्टूडेंट्स को इस देश की भाषा आनी जरूरी है. यहां गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज में विदेशी स्टूडेंट्स को पर सेमेस्टर 30-60 यूरो फीस लगती है। यह फीस स्टूडेंट्स यूनियन के लिए ली जाती है, जिसके बदले हेल्थ, काउंसलिंग, स्पोर्ट्स एक्टिविटीज और कैंप्स फैसिलिटी मिलती है।

स्वीडन

स्वीडन अपनी बेहतरीन शिक्षा शैली के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां भी फ्री एजुकेशन दिया जाता है, लेकिन केवल यूरोपीय यूनियन यूरोपीय इकोनॉमिक एरिया और स्वीडन के स्थाई निवासी स्टूडेंट्स के लिए ही यह सुविधा है। हालांकि, विदेशी छात्रों को ट्यूशन फीस बहुत कम देनी पड़ती है। हर साल लाखों स्टूडेंट्स यहां पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। वहीं, विदेशी छात्रों के लिए स्वीडन में पीएचडी की पढ़ाई बिल्कुल फ्री है।

फिनलैंड

फिनलैंड भी छात्रों को मुफ्त शिक्षा देता है। यहां छात्रों को बैचलर्स और मास्टर्स में कोई फीस नहीं देनी पड़ती। पीएचडी की पढ़ाई करने वालों मुफ्त शिक्षा के साथ ही सरकार सैलरी भी देती है। यहां यूरोपीयन स्टूडेंट्स के अलावा बाहर के स्टूडेंट्स स्वीडीश या फिनिश लैंग्वेज में कोई कोर्स करते हैं तो उन्हें किसी तरह की फीस नहीं देनी पड़ती है।



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