pm education card भाजपा में डा. विजय यादव के खिलाफ साजिश

0भाजपा को नहीं मिल पा रहा डा. विजय यादव जैसा नेता

0डा. विजय यादव के खिलाफ भाजपा में रची गई थी साजिश

0वर्षों से भाजपा के लिए डोर टू डोर मेहनत कर रहे थे विजय

गाजीपुर। कई कालेजों के संचालक और भाजपा में यदुवंशियों और पिछड़ों के बड़े नेता बन चुके डा. विजय यादव आजकल कहां हैं। उनकी गैरमौजूदगी में भाजपा के कुछ नेताओं ने संतोष यादव को प्रोजेक्ट किया। मगर जो आकर्षण यदुवंशियों में डा. विजय यादव को लेकर था, वह संतोष यादव में नहीं दिखता है।

यही वजह रही कि उभरते हुए नेता के खिलाफ साजिश रच दी गई। लेकिन इस बात को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व समझ चुका है कि उनके खिलाफ एक गुट ने साजिश रची। इसके लिए भाजपा ने कई नेताओं को चिंहित भी किया है। इसको लेकर उन नेताओं में खलबली मची हुई है जो इस खेल में शामिल थे।

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भाजपा में चर्चा में आए डा. विजय यादव ने जिले की सियासत में बड़ा नाम कमाया था। प्रदेश और देश के भाजपा नेता उन्हें बाई नेम और चेहरे से जानते और पहचानते थे। जिला और प्रदेश के कई कार्यक्रमों में अक्सर वह अगली धार पर दिखाई देते थे। जब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव आया तो उनकी पत्नी डा. वंदना यादव प्रबल दावेदार थीं।

उस समय भाजपा में सपना सिंह का कहीं भी अता पता नहीं था। न ही प्रत्याशी को लेकर नाम चल रहा था। एलजी मनोज सिन्हा डा. वंदना के प्रबल पैरवीकार थे। एक तरह से उनका टिकट भी फाइनल हो चुका था। तब किसी को यह पता नहीं था कि गाजीपुर के युवा एमएलसी विशाल सिंह चंचल बड़ा दाव चल देंगे। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर सपना सिंह को टिकट देने की वकालत कर दी। फिर क्या था। एैन वक्त पर डा. विजय यादव की पत्नी का टिकट काट दिया गया।

उस समय जब शक्ति परीक्षण हुआ तो तब भी विजय आगे थे। उस दौरान विजय करीब 47 जिला पंचायत सदस्यों ने समर्थन का ऐलान किया था। उनका दिल खोलकर सम्मान भी किया था और आगे भी सम्मान का वादा किया। मगर आनन फानन में तब के प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वतंत्रदेव सिंह ने तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह को निर्देशित किया कि सपना सिंह को भाजपा की सदस्यता दिलाते हुए गाजीपुर जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित किया जाए। यह साजिश डा. विजय यादव को खल गई। खैर सपना सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो चुकी थीं। रिश्ते में सपना सिंह एमएलसी चंचल की सरहज भी लगती हैं। जिस रिश्तेदार के लिए चंचल ने पूरी ताकत लगा दी थी।

कड़ी मेहनत की थी, आज दोनों के रिश्तों में बड़ी कड़वाहट आ चुकी है। जिला पंचायत के कई जांच भी हुई। स्ट्रीट लाइट घोटाले की रिपोर्ट भी गई शासन में। अब सब कुछ कागजों में दफन हो गया है। अभी भी दोनों के रिश्ते ठीक नहीं है। सियासी जंग अभी भी जारी है। इसी वजह से कई ब्लाकों के ब्लाक प्रमुख भी चंचल से लुका छिपी का खेल खेल रहे हैं। खैर जिला पंचायत अध्यक्ष तो डा. विजय यादव की पत्नी नहीं बन सकी। लेकिन उन्हें साजिश के तहत जेल भेजवा दिया गया। देखा जाए तो वर्ष 2004 से लेकर 2021 तक उन पर एक भी मुकदमे नहीं थे।

यहां तक की एनसीआर भी दर्ज नहीं हुआ था। अब वह जमानत पर बाहर हैं, लेकिन जिस तरह से डा. विजय यादव के खिलाफ कुछ लोगों ने साजिश रची, उससे यदुवंशियों के साथ ही पिछड़ों में खराब संदेश गया। विजय यादव की गैरमौजूदगी में सादात के ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि संतोष यादव सक्रिय हैं।

मगर जो बात डा. विजय में थी, वह संतोष में कहीं भी नहीं दिखाई देती। पूरी ताकत के साथ विजय भाजपा के लिए काम कर रहे थे। अब देखना होगा कि आने वाला कल डा. विजय का कैसा होगा। इसकी प्रतीक्षा आज भी यदुवंशी और पिछड़े समाज के लोग कर रहे हैं।

अलवर में भाजपा प्रत्याशी का विजय कर रहे प्रचार

अलवर में भाजपा प्रत्याशी का विजय कर रहे प्रचार गाजीपुर। भाजपा नेता डा. विजय यादव कई बूथों पर भाजपा को जीताने का काम किया था। जब जिला पंचायत करंडा द्वितीय का चुनाव हुआ और शैलेश राम भाजपा उम्मीदवार हुए तो डा. विजय यदुवंशियों के बूथ पर पहुंचकर काम किया औैर भाजपा प्रत्याशी को जीताया। यह बूथ पहले समाजवादी पार्टी के हुआ करते थे। यहां पर सपा जीतते हुए आई है। सूत्र बताते हैं कि साजिश के बाद भाजपा के बड़े नेताओं के कहने पर डा. विजय यादव हरियाणा और राजस्थान चुनाव में भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। राजस्थान के अलवर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार भूपेंद्र यादव के पक्ष में वह प्रचार कर रहे हैं। उनके समर्थक चाहते हैं विजय पुनः लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करें।

हजारों गरीबों के चेहरे पर विजय ने लाई थी खुशी

डा. विजय यादव कही पहचान सिर्फ भाजपा में ही नहीं रही है। उन्होंने अपने जीवन काल में हजारों गरीब बच्चों को निःशुल्क हायर एजुकेशन शिक्षा दिलाकर एक मिशाल कायम की है। यही वजह है कि आज साजिश के बाद भी पिछड़ों में विजय की बड़ी कद्र है। विगत सात वर्षों में 9 हजार से अधिक गरीबों का निःशुल्क मोतियाबिंद आपरेशन भी कराकर गरीबों के दिल में जगह बना चुके हैं। यही नहीं गरीब बेटियों के विवाह में मदद देकर उस गरीब बाप का बोझ कम किया है जो वर्षों से बेटी की शादी की चिंता में खोया है। यही वजह कि मुसलमान बाहुल्य सीट मनिहारी पंचम में उनकी पत्नी वंदना यादव ने अच्छे वोटों से जीत दर्ज की थी। कई समाज के साथ ही मुस्लिम बूथों पर भी भाजपा उम्मीदवार रहने के बावजूद 90 प्रतिशत वोट मिले थे।



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