आखिर दुल्हा बिन भाजपा की कब तक निकलेगी बारात

0कंेद्रीय चुनाव कार्यालय के बाद जमानियां में खुला कार्यालय

0अभी तक भाजपा नहीं तय कर पा रही है कौन लड़ेगा चुनाव

0हमलावर हो रहे अफजाल का भाजपा नहीं दे पा रही जवाब

0मनोज सिन्हा का ही परिवार अफजाल से लड़ पाएगा चुनाव

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। जिनके आंगन में अमीरी का सजर लगता है, उनका हर एैब जमाने को हुनर लगता है। यह किसी शायर की लाइनंे आज भाजपा पर सटीक बैठ रही है। बिना दुल्हा के निकल रही भाजपा की सियासी बारात को लोग बड़े ही कौतूहल बस देख रहे हैं।

भाजपा गाजीपुर के केंद्रीय चुनाव कार्यालय खोलने के बाद शनिवार को जमानियां में भी चुनाव कार्यालय का उद्घाटन योगी सरकार के मंत्री गिरीश चंद यादव के हाथों करा दिया गया। मगर उन्होंने यह नहीं बताया कि गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा उम्मीदवार के खिलाफ किसको मैदान में उतारा जाएगा।

गाजीपुर के वोटरों की मानें तो अफजाल का सियासी जवाब सिर्फ व सिर्फ मनोज सिन्हा का ही परिवार दे पाएगा। क्योंकि 1984 से लेकर 2019 लोकसभा चुनाव तक मनोज सिन्हा ही चुनाव लड़ते आए हैं। यही गाजीपुर की धरती ने मनोज सिन्हा को फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचा दिया। अगर वह या उनके पुत्र अभिनव सिन्हा मैदान में आते हैं तो चुनाव बड़ा ही रोचक होगा। साथ ही अफजाल को घर वापस भेजने की कसम भी भाजपा पूरी हो जाएगी।

2019 का लोकसभा चुनाव हारने के एक वर्ष बाद ही मनोज सिन्हा को जम्मू एवं कश्मीर का उपराज्यपाल बना दिया गया। वह आज गाजीपुर का नाम पूरे भारत में चमका रहे हैं। जब वह 2014 से 2019 तक मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे तो उन्होंने जिलेवासियों को विकास का बड़ा एहसास कराया था। करीब बीस हजार करोड़ का विकास सभी के सिर चढ़कर बोल रहा था।

आज भी रेल कम रोड ब्रिज गहमरी जी के सपनों को साकार कर रहा है। लेकिन 2004 में लोकसभा चुनाव हराने वाले अफजाल मनोज सिन्हा को 2019 में भी पटखनी देकर सांसद बन गए। मनोज सिन्हा की हार की सियासी आवाज दिल्ली के सत्ता के गलियारों तक सुनाई दी थी। अब फिर लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। सपा ने बसपा से सांसद अफजाल अंसारी को मैदान में उतारा है। अफजाल यह मानते हैं कि चार लाख से अधिक वोटों का उपहार सपा ने उन्हें शुरूआती दौर में दिया है।

मनोज सिन्हा चुनाव लड़ तो सकते हैं मगर मतगणना में मेरे साथ नहीं बैठ सकते। उनका इशारा साफ था। इस बार 2019 से भी बुरी हार मनोज सिन्हा की होगी। वह लगातार मोदी योगी सरकार को ललकार रहे हैं। चुनावी बांड को मुद्दा बना रहे हैं। बीएसएनएल के बैठने और घोटाले की बात कर रहे हैं। उनका कहना था कि जीओ को आगे बढ़ाने में सिन्हा की ही देन थी। खैर आरोप प्रत्यारोप के दौरान शनिवार को योगी सरकार के मंत्री गिरीश चंद यादव जमानियां पहुंचे।

उनके साथ भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह, केबी राय, पूर्व विधायक सुनीता सिंह सहित सैकड़ों भाजपाई थे। उन्होंने जमानियां चुनाव कार्यालय का उद्घाटन फीता काटकर किया। तब लोगों ने सवाल किया कि आखिर यह सियासी बारात बिन दुल्हा के कब तक नाचती गाती रहेगी। दुल्हे का चेहरा भी तो वोटरों के सामने आना चाहिए। तब बार बार भाजपाई यही कह रहे हैं कि कमल का फूल ही चेहरा होगा। गैर जिले के भाजपाई औैर मंत्री जिले में आते हैं तो अंसारियों पर जमकर हमलावर होते हैं। लेकिन जिले के भाजपाई अफजाल अंसारी का सियासी जवाब देने से कतराते हैं। कभी कभार एमएलसी विशाल सिंह चंचल अफजाल अंसारी पर तंज कसकर अपनी सियासी टेम्पो हाई कर लेते हैं।

अब सवाल उठता है कि आखिर वह कौन चेहरा होगा जो अफजाल को धूल चटाएगा। मनोज सिन्हा के परिवार के अलावा भाजपा एमएलसी विशाल सिंह चंचल, पूर्व मंत्री विजय मिश्रा, जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह, पूर्व विधायक सुनीता सिंह, सरोज कुशवाहा, प्रो. शोभनाथ यादव, संतोष यादव, सानंद सिंह जैसे नेताओं के नामों की चर्चा खूब हो रही है। वैसे भाजपा के लिए गाजीपुर की सीट हाई रिस्क वाली बताई जा रही है। भाजपा जिसे भी टिकट देगी उसे बड़े ही दमदारी से मैदान उतारेगी।



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