अचानक चंचल की राजधानी कैसी बनी!

0उन्होंने तो सिर्फ सीएम योगी को जन्मदिन की बधाई दी थी

0जन्मदिन की बधाई में लगे सैकड़ों पोस्टर ने बढ़ाई हैसियत

0हर जगह चंचल ने सीएम योगी के लिए लगाए थे पोस्टर

0राजधानी लखनऊ में सर्वाधिक पोस्टर से गरमाई सियासत

0सीएम योगी के आंखों के तारे चंचल है बेदाग छवि वाले नेता

गाजीपुर। जिस दिन चंचल ने सपा से बगावत करके एमएलसी चुनाव जीता और सदन की चौखट को सिर झुकाकर प्रमाण किया था, उस दिन कोई नहीं जानता था कि कल का चंचल आज सिर्फ गाजीपुर ही नहीं बल्कि लखनऊ में भी चमक जाएगा।

हुआ भी कुछ ऐसा कि वह भाजपा में नंबर दो के कतार में खड़े नेता सीएम योगी के करीबी बन गए। सियासी घटनाएं होती गईं, चंचल करीब होते गए। उनका हर एक कदम सियासत के जानकारों को सोचने पर मजबूर कर देता है। जब 5 जून को पर्यावरण दिवस पर सीएम योगी का जन्मदिन था तो पूरे लखनऊ, वाराणसी और गाजीपुर में सिर्फ चंचल ही चंचल दिखाई दिए।

तभी यह तय हो गया कि अब चंचल का सियासी घोड़ा रूकने वाला नहीं है। इसी बीच लखनऊ में महाराज जी से मुकालात हुई। फिर गोरखपुर में मुलाकात। जब महामहिम राष्ट्रपति गोरखपुर आए तब चंचल का जिस अंदाज में महाराज जी ने महामहिम से परिचय कराया वह यह संदेश दे रहा था कि चंचल के लिए महाराज जी के दिमाग में कुछ चल रहा है। इसकी फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। लोगों ने इस सियासी घटनाक्रम को अलग अलग ढंग से देखा।

जब हमने एक जानकार सियासी उस्ताद से इस पर बात की तो उन्होंने कहा कि चंचल अब सियासत में अश्वमेघ का घोड़ा हो चुके हैं। उन्हें कोई रोक नहीं सकता। और मोदी के बाद महाराज जी का भी बड़ा भविष्य है। इसलिए गाजीपुर के दूसरे नंबर के नेताओं को चंचल शरणम् गच्छामि कहना पड़ेगा, तभी उन्हें सियासत में महत्व मिलेगा।

इस वर्ष होने वाले भाजपा जिलाध्यक्ष के चुनाव में भी चंचल की पसंद एवं नापसंद का भी भरपूर पार्टी ख्याल रखेगी। क्योंकि अब आने वाले बीस वर्षों तक चंचल भाजपा में उभरता हुआ सितारा रहेंगे। सियासी उस्ताद की इस भविष्यवाणी पर जब हमने चिंतन किया तो यह बात समझ में आई कि अभी तक चंचल का सियासी कैरियर पाक साफ रहा है। वह एक ऐसे नेता हैं जिनके दामन पर न तो पर्दे के पीछे और न तो बाहर से कमीशनखोरी का कभी कीचड़ नहीं उछला है।

यही अदा चंचल की महाराज जी को भाव जाती है। और कभी भी उन्होंने सियासी ढंग से कोई प्रतिष्ठा महाराज जी के सामने नहीं फंसाई। वह बहुत ही सुझबूझ के साथ शानदार तरीके से अपने सियासी कैरियर को आगे बढ़ा रहे हैं। हां इतना जरूर किए कि वह शनिवार रविवार को अपने जनसंपर्क कार्यालय आते हैं और पूरे दिन तक जनता की सेवा में लग जाते हैं।

उनकी राजनीतिक हैसियत का उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुछ लोगों ने उन्हें करईल के इलाके में स्वागत के बहाने बुलाए थे। सिर्फ इसलिए ले गए कि कहीं उन पर अविश्वास के काले बादल छाएंगे तो चंचल संकट मोचक बनकर सामने खड़े हो जाएंगे। उन लोगों ने अधिकारियों के सामने भी कहा कि हम लोगों के भी नेता चंचल हैं।

जबकि वो लोग उनके खून और समाज के रिश्ते से जुड़े लोग थे। चंचल ने अपने दम पर सियासी पारी जो शुरू की उसके सुखद परिणाम अब दूर तलक जाएंगे।

लेकिन चंचल की तरफ लहुरीकाशी की जनता आशाभरी नजरों से देख रही है। वह चाहती है कि चंचल गाजीपुर को भी विकास के क्षेत्र में पूर्वांचल के अन्य जिलों से आगे ले जाएं। जो भागीरथ प्रयास मनोज सिन्हा ने किए थे, उसे आगे बढ़ाएं और महाराज जी की नजदीकियों का लाभ जिले के विकास पर लगाएं।



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