मानदेय नहीं मिला तो छोड़ दी नौकरी

0आशा ज्योति केंद्र की हालत है खराब

0कर्मचारियों को आठ माह से नहीं मिला मानदेय

0डीपीओ के निरीक्षण में हुआ मानेदय का खुलासा

अजीत सिंह, गाजीपुर।

नारी शक्ति के सपनों को साकार करने के लिए जिला अस्पताल परिसर में संचालित आशा ज्योति केंद्र खुद बदहाली के आंसू बहा रहा है। यहां पर तैनात महिला कर्मचारियों को आठ माह से मानदेय के लाले पड़े हुए हैं। मानदेय नहीं मिलने से दुखी होकर यहां पर तैनात रही सामाजिक परामर्श दाता अर्चना गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भी उसे मानेदय नहीं मिला।

उसका सीधा आरोप है कि जिला प्रोबेशन अधिकारी की लापरवाही से उसे मानदेय की धनराशि नहीं मिली है। वह इसके लिए शासन स्तर पर शिकायत भी करेंगी। प्रदेश सरकार ने महिलाओं की विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखकर आशा ज्योति केंद्र बीते वर्ष जिला अस्पताल परिसर में खोला था।

शासन का निर्देश था कि एक छत के नीचे महिलाओं को सभी सुविधाएं मिलेंगी। अगर महिला का उत्पीड़न किया जा रहा है तो वह 181 पर काल करके अपनी समस्या बता सकती है। अगर जरूरत हुई तो महिला को विशेष एम्बुलेंस से आशा ज्योति केंद्र में बुलाया भी जाएगा। अगर घरेलू हिंसा का मामला होगा तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा भी कायम होगा।

यहां पर महिलाओं के ठहरने का इंतजाम है। अगर कोई सामाजिक ज्ञान लेना है या फिर कोर्ट से संबंधित जानकारी लेनी है तो इसके लिए एक महिला अधिवक्ता भी तैनात की गई है जो महिलाओं को न्यायालय से संबंधित मुकदमों की जानकारी देगी। इस आशा ज्योति केंद्र को चलाने के लिए कुल 9 महिला कर्मचारियों की तैनाती की गई है। जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार व्यास ने आशा ज्योति केंद्र का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान एक छत के नीचे सभी सुविधाएं महिलाओं को मिल रही थीं। सेंटर की मैनेजर नीतू कुमारी मौजूद थीं। इस दौरान जब डीपीओ ने महिला कर्मचारियों की समस्याएं जानी तो सभी कर्मचारियों ने एक स्वर से कहा कि हम लोगों को बीते आठ माह से मानदेय नहीं मिल रहा है हम लोग कैसे अपने परिवार का खर्च चलाएं। इसके लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। मामले को गंभीरता से सुनने के बाद डीपीओ ने कहा कि इस मामले की जानकारी डीएम को दी जाएगी। डीपीओ को महिला कर्मचारियों ने यह भी बताया कि यहां पर सामाजिक परामर्शदाता पद पर तैनात रही अर्चना गुप्ता ने मानदेय नहीं मिलने के कारण इस्तीफा भी दे दिया।

इस मामले की जब अर्चना से जानकारी मांगी तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि उन्हें मानदेय नहीं मिला तो इस्तीफा देकर घर चली आई। इसमें जिला प्रोबेशन अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं। डीपीओ अनिल कुमार व्यास ने बताया कि आशा ज्योति केंद्र महिलाओं की समस्याओं के लिए वरदान है। बस कर्मचारियों को समय से मानदेय मिल जाए तो और बेहतर ढंग से यह केंद्र संचालित होने लगेगा।

जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार सोनकर ने बताया कि बजट नहीं मिलने के कारण मानदेय नहीं दिया गया है। मानदेय के लिए बजट की मांग की गई है।



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