भाजपा जिला संगठन ने खूब किया भेदभाव
0पीएम मोदी से लेकर योगी के मंच पर अपने लोगों को बैठाया
0शाह के रोड शो के दौरान योगी का पोस्टर भी किया गायब
0सैदपुर में पूर्व विधायक सुनीता सिंह का मंच से काटा नाम
0जमानियां में भी जिलाध्यक्ष और केबी राय ने किया भेदभाव
अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। भाजपा प्रत्याशी पारस नाथ राय चुनाव जीत कर भी हार गए। उनकी हार में अहम भूमिका भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह और केबी राय ने बहुत ही अच्छे ढंग से निभाई। दोनों नेताओं ने भाजपा के नेताओं के साथ जमकर भेदभाव किया।
जिसको चाहा मंच पर चढ़ाया, जिसका चाहा नाम काट दिया। जब 29 मई को गृहमंत्री अमित शाह का रोड शो था तो मुख्यमंत्री योगी का पोस्टर ही गायब कर दिया। अब दोनों को जिला संगठन से बाहर करने को लेकर मांग उठने लगी है। कई भाजपा नेताओं ने इन पर अपना गुस्सा भी उतारना शुरू कर दिया है।
लोस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के हारने के बाद भाजपा नेता आपस में लड़ गए हैं। सोशल मीडिया पर जमकर बयानबाजी का दौर चल पड़ा है। कई नेताओं ने सीधे तौर पर जिला संगठन को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की है। कहा कि अगर तनिक भी नैतिकता है तो हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा सौंप दें। हार के बाद भाजपा के जिला संगठन का कोई बयान नहीं आया है।
देखा जाए तो भाजपा के जिला संगठन ने चुनाव के दौरान गलतियों पर गलतियां की। जब 29 मई को अमित शाह आए तो सबसे पहले भाजपा के जनप्रतिनिधियों को पैदल करके मनोज सिन्हा के पुत्र अभिनव सिन्हा को रथ पर चढ़ा दिया गया। जबकि राज्यसभा सांसद डा. संगीता बलवंत, एमएलसी विशाल सिंह चंचल, जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह और नगर पालिका अध्यक्ष सरिता अग्रवाल, पूर्व मंत्री विजय मिश्रा, पूर्व विधायक राजकुमार गौतम सहित तमाम नेता पैदल चल रहे थे।
अब सवाल उठता है कि भाजपा में अभिनव कितने बड़े नेता हैं। क्या वह सीनियर हैं या फिर मनोज सिन्हा के इशारे पर भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह और केबी राय उन्हें मंच पर चढ़ाया था। दूसरी गलती यह रही कि जिस वाहन पर शाह सवार थे, उसके दोनों तरफ और सामने तीन पोस्टर लगे थे। तीनों पोस्टर में सीएम योगी गायब थे। जबकि योगी को राजपूत अपना नेता मानता है। जब जमानियां में केशव मौर्या की सभा हुई तो अखबारों के विज्ञापन में योगी की फोटो गायब थी। सैदपुर में योगी की सभा हुई तो जमानियां की पूर्व विधायक सुनीता सिंह का मंच पर नाम ही नहीं था। इसकी जब उन्होंने शिकायत की तो जिलाध्यक्ष पहले आनाकानी किए फिर फोन काट दिए और आननफानन में सुनीता सिंह का नाम शामिल किया गया।
पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान सीनियर नेता अरूण सिंह भाजपा में शामिल होने के लिए छटपटाते रहे, लेकिन भाजपा के जिला संगठन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसको लेकर पारस राय के बेटे ने कोशिश भी की, लेकिन वह नाकाम रहे। यही नहीं पूरे चुनाव के दौरान केबी राय ही मालिक की भूमिका में रहे। जो भी फैसला करना था किए। जिसको चाहा नजरअंदाज किया। जिसको चाहा मान बढ़ाया। अब सवाल उठता है कि जिला संगठन की इतनी हैसियत तो नहीं है कि सीएम योगी की फोटो को रोड शो से गायब कर दे।
इसके पीछे कश्मीर वाले साहेब की ही भूमिका रही। चूंकि गाजीपुर की पूरी भाजपा मनोज सिन्हा के ही इशारे पर चलती है। यही कारण रहा कि इस भेदभाव और अहंकार को जनता खारिज कर दिया और जिसका माहौल नहीं था वह चुनाव जीतकर सीधे जिला संगठन के आका यानि पीएम मोदी को ललकारने से पीछे नहीं हट रहा है। अब भाजपा का जिला संगठन और केबी राय की इस भारी गलती पर भाजपा कार्रवाई करती है या फिर कोई और कहानी गढ़ी जाएगी।