हिमांशी जैसी वीरांगनाओं का कलेजा हुआ ठंडा

0सपने में आए विनय नरवाल ने हिमांशी के पोछे आंसु
0बोले, थैंक्यू पीएम मोदी जी, आगे भी लड़ाई रखनी जारी
0आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान हुआ बेनकाब
अजीत केआर सिंह, नई दिल्ली। उसके चेहरे पर जमीं गम की चादर पर जैसे विनय नरवाल ने अपने कोमल हाथ फेरा तो अचानक हिमांशी नरवाल के मुंह से बरबस यही निकल पड़ा कि अरे तुम कैसे आ गए...। मगर सवालों से अधिक हिमांशी के चेहरे पर आज सकून के पल नजर आए। जैसे ही सुबह पता चला कि भारतीय सेना ने आपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकाने को तबाह किया है तो आंसुओं की धार कुछ कम हुई।
तब उसने दैनिक दिनचर्या के बाद सकून महसूस किया तो हिमांशी गहरी नींद में चली गई। 15 दिनों में मानों आज पहला दिन था, जब उसकी बेचैनी और बेबसी पर ब्रेक लगा हो।
जैसे ही हिमांशी सपने में खोई तो सामने विनय नरवाल थे। वही विनय नरवाल जिसके साथ पहलमाग हमले से पांच दिन पहले धूमधाम के साथ शादी हुई। अभी हाथों की मेंहदी भी नहीं छूटी थी। वह पहलगाम के बायसरन घाटी घूमने गए थे। हिमांशी वहां की वादियों में खोई हुई थी। वहां का नजारा वास्तव में खूबसूरत था। दोनों बेहद खुश थे। तभी दोपहर में अचानक नकाबपोश बंदूकधारी आतंकवादियों ने हिमांशी की आंखों के सामने ही दिनदहाड़े विनय नरवाल को गोली मार दी। यह देखकर हिमांशी आतंकवादियों से लड़ जाती है। आंसुओं के बीच सवाल पूछती है।
आखिर मेरे निर्दोष पति को क्यों गोली मारी। दो गोली लगने के बाद वहां पर अफरातफरी मच जाती है। विनय जैसे 26 और निर्दोष लोगों को आतंकवादियों ने गोली मारकर पूरे भारत में ही नहीं विश्व को गुस्से में डाल दिया था। तब शक की सुई पाकिस्तान की ओर जाती है। प्रधानमंत्री ने अपना दुबई का दौरा छोड़कर वापस आते हैं। प्लानिंग पर प्लानिंग होती है। कई दिनों की तैयारियों के बाद जैसे ही 6-7 मई की अर्धरात्रि भारतीय सेना की विंग आफिसर सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह जैसे जांबाज़ अफसरों ने आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह किया तो पूरे देश में जश्न का माहौल था।
पूरे दिन टीवी चैनलों पर भारतीय सेना की तारीफ होती रही। हर दिन की तरह हिमांशी नरवाल की करनाल में सुबह होती है। मगर हिमांशी को क्या पता कि आज का दिन सिंदूर उजाड़ने वालों से बदला लेने का दिन है। कुछ ही देर में यह जानकारी मिलती है कि भारत ने 27 विधवाओं का सिंदूर उजाड़ने वाले पाकिस्तान को भारत ने सबक सिखा दिया है। रोजाना आंसुओं के बीच सुबह उठने वाली हिमांशी के आंसुओं की रफ्तार थोड़ी धीमी थी।
जब बुधवार की दोपहर उसको थोड़ा राहत मिली तो बेड रूम में जाते ही गहरी नींद में चली गई। इधर जैसे ही स्वर्ग में जानकारी हुई तो आंसुओं के दरिया में जिंदगी गुजार रहे विनय के दोस्तों ने बताया कि पीएम मोदी ने बदला ले लिया है। विनय तुम अपनी बेबस लाचार फूल सी खूबसूरत पत्नी हिमांशी के पास चले जाओ। उसे दिलासा दे आओ। उसके आंसुओं को पोछ दो। उससे वादा कर आओ। तभी हिमांशी को सपने में विनय जगाते हैं।
हिमांशी के आंखों में आंसु देखकर विनय तड़प जाते हैं। बिलखने लगते हैं। मगर हिमांशी से चेहरा छिपाकर अपने आंसुओं को पोछकर किसी तरह से अपने आपको संभालते हैं। और 15 दिनों से आंसुओं के कारण सूर्ख हो चुके हिमांशी के चेहरे को सहलाते हैं। काफी दिनों बाद जैसे ही हिमांशी को विनय की कोमल हथेली चेहरे पर पड़ती है तो वह चौंक जाती है। सपने में जग जाती है। विनय को देखकर लिपटकर जोर जोर से रोने लगती है।
कहती है कि विनय तुम्हारे बिना जिंदगी उजड़ गई। सब कुछ बर्बाद हो गया। प्लीज तुम आ जाओ। अब कभी मत जाना। प्लीज मैं अकेले हो गई हूं। इस दुनिया में तुम्हारे सिवाय मेरा कोई नहीं है। इसके बाद उसके आंसुओं की बूंदे विनय के चेहरे को भींगो देती है। वह तड़ जाता है। दोनों लिपटकर खूब रोते हैं। तभी विनय हिमांशी से कहते हैं कि मेरे कातिलों से बदला लेने वाले भारतीय सैनिकों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरा सैलूट बोलना।
इसी बीच हिमांशी की सासू मां उसे जगाने आती हैं और कहती हैं कि हिमांशी मीडिया वाले आए हैैं। जाओ बयान दे दो। यह आवाज सुनते ही विनय हड़बडा जाते हैं और हिमांशी से कहते हैं कि सुनो अब मुझे चलने दो। अगले जन्म में दोबारा मिलूंगा। मैं तुम्हें अपनी पत्नी के तौर पर खुदा से मांग लूंगा। सपने में दोबारा मिलने का वादा करके विनय चले जाते हैं। इसी बीच हिमांशी की आंख खुल जाती है। थोड़ा अपने आपको संभालती है। फिर मीडिया के सामने पहुंचती है। मीडिया वालों के सवालों का जवाब देती है। कहती है...। हमारी तो दुनिया ही उजड़ गई।
जो मेरे साथ हुआ वह किसी और के साथ न हो। मेरा सिर्फ यही कहना है कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखे। आपरेशन सिंदूर के सवाल पर कहा कि बिलकुल किसी बहन का सिंदूर न मिटे। आगे कहती है कि आज विनय की आत्मा को सकून मिला है। विनय की आत्मा मेरे अंदर है। फिर आंसु पोछती है और पहलगाम की बायसरन घाटी में हुए वाकये को याद करके तड़ते हुए बिलखने लगती है। यह सब देखकर फिर नरवाल परिवार की आंखें नम हो जाती है।


