वास्तव में रामप्रताप के लक्ष्मण हैं शिवप्रताप

0इस जमाने में ऐसे भाइयों की नहीं दिखती है जोड़ी

0बड़े भाई का सियासी टेम्पो हाई करते हैं शिवप्रताप

0गाजीपुर की जहूराबाद से लड़ाना चाहते हैं विधायकी

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। अर्थवादी युग में खून के रिश्ते भले ही दागदार होते देखे गए हैं, मगर यूपी के गाजीपुर जिले में बड़े और छोटे दो भाइयों की मिसाल आज पूरी दुनिया में दी जा रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं कासिमाबाद ब्लाक के बासदेवपुर गांव निवासी स्व. महेंद्र सिंह के पुत्रगण रामप्रताप सिंह एवं शिवप्रताप सिंह छोटू की।

जो अपने आप में एक बड़ा उदहारण है। शिव प्रताप सिंह ने अपने भाई बड़े भाई रामप्रताप सिंह को विधायक बनाने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किए। हर गली और मुहल्ले की खाक छानी। हजारों लोगों के पैर छूए। जब टिकट नहीं मिला तो निराश भी नहीं हुए। उनका एक मात्र सपना है कि जहूराबाद से अपने भइया को विधायक बना दूं। इन दोनों भाइयों की इस प्रेम कहानी की हर ओर चर्चा है।

पहलनवान एवं सामाजिक कार्यकर्ता रहे गाजीपुर जनपद के कासिमाबाद ब्लाक के बासदेवपुर गांव निवासी स्व. महेंद्र सिंह कबड्डी के अच्छे खिलाड़ थे। उन्होंने लखनउ में स्कूटर आफ इंडिया में नौकरी शुरू की। मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले महेंद्र सिंह के दो पुत्र हुए। उन्होंने बड़े बेटे का नाम रामप्रताप सिंह रखा और छोटे बेटे का नाम शिवप्रताप सिंह छोटू रखा। रामप्रताप शांत और शर्मीले स्वभाव के थे। जबकि छोटू लड़ाकू स्वभाव के थे। इस तरह से समझा जाए कि बड़े बेटे का स्वभाव गांधी जी वाला था और छोटू नेता जी सुभाष चंद बोस जैसा।

समय का पहिया धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा। छोटू ने लखनऊ के केकेसी में पढ़ाई के दौरान नेतागिरी शुरू कर दी। उनको विधायक अभय सिंह का साथ मिला। उनके साथ आना जाना भी शुरू हो गया। उनके चुनाव प्रचार में समय देना। ठेकेदारी करने से लेकर लोगों की मदद करने में रूचि बढ़ने लगी। एक तरह से कहा जाए कि छोटू ने अपनी छवि राबिन हुड वाली बनानी शुरू कर दी। जब सियासतदानों के बीच में उठने बैठने में दिलचस्पी बढ़ी तो सियासत की तरफ भी मन लगने लगा। उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी का बोलबोला था।

2012 से 2017 तक प्रदेश में सपा की सरकार रही। किसी ने छोटू को समझा दिया कि अगर अपनी असली पहचान बनानी है तो अपने गृह जनपद में भी भौकाल होना चाहिए। तब क्या था छोटू सिंह ने तय कर लिया कि अब गाजीपुर का रूख करना है। लग्जरी वाहनों का काफिला। उस पर 7172 का टैग ही छोटू की जहूराबाद विधानसभा में पहचान बन गई। हर तरफ बैनर पोस्टर लगने लगे। बड़ी बड़ी होर्डिंग यह एहसास कराने लगे कि कोई बड़ा नेता जहूराबाद आ चुका है। लेकिन इस दौरान छोटू के पोस्टर नहीं थे। पूरे जहूराबाद में विधायक के लिए अपने भाई रामप्रताप सिंह का चेहरा आगे कर दिया। उस समय जहूराबाद में कुछ ही कार्यकर्ता भाजपा के बचे थे, जो भाजपा का झंडा लेकर चलते थे। कोई भाजपा का नाम नहीं लेता था। धरना प्रदर्शन में भी संख्या कम थी। भाजपाई हताश और निराश थे।

वजह यह कि डेढ़ दशक से यूपी में भाजपा की सरकार नहीं बनी थी। जब 2012 से पहले रामप्रताप सिंह के पोस्टर जहूराबाद में लगे तो सपाई हंसते थे। कहते थे कि जिस पार्टी का कोई नाम नहीं लेना चाहता, उसी पार्टी में छोटू पैसा खर्च करके समय बर्बाद कर रहे हैं। क्योंकि उस समय हर सप्ताह गांव गांव बैठक होती थी। बाटी चोखा का धुंआ सपाइयों को जलाता था। वहां पर जय श्रीराम के नारे लगते थे। मगर कोई नहीं जानता था कि जिस भाजपा के नाम से सपाई चिढ़ते हैं वही एक दिन पूरे भारत पर राज करेगी। हुआ भी वही। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा जीत चुकी थी। बलिया और गाजीपुर में भाजपा के प्रत्याशी क्रमशः भरत सिंह और जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा जीत चुके थे।

लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद छोटू को जहूराबाद की जनता ने गंभीरता से लेना शुरू किया। जब 2017 का विधानसभा चुनाव आया तो ऐसा लगा कि रामप्रताप सिंह को टिकट मिल जाएगा, मगर जाति की राजनीति ने इन भाइयों के सपनों को कुचल दिया। भाजपा ने राजभर वोटों की खातिर ओमप्रकाश राजभर को जहूराबाद से समर्थन दे दिया। यह खबर जैसे ही रामप्रताप सिंह के हजारों समर्थकों को लगी तो सभी गुस्से में थे। सभी की आंखों में आंसू थे। गम और गुस्से से आंखें लाल हो गई थी। तब छोटू ने धैर्य का परिचय दिया। कुछ वर्षों बाद राजभर भाग गए। वह सपा में चले गए। सपा से विधायक हो गए। अब वह भाजपा में हैं।

ऐसा लगता है कि फिर भाग जाएंगे। लेकिन छोटू ने धैर्य बनाए रखा। आज भी छोटू के हजारों समर्थक है, उनकी मांग है कि 2027 में भाजपा राजभर कांसेप्ट को खारिज करके रामप्रताप को टिकट देगी जीत पक्की है। एक बार रामप्रताप सिंह जहूराबाद से विधायक बन गए तो निश्चित तौर विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। युवाओं के सपने सच होंगे। कल भी रामप्रताप उनके प्रत्याशी थे, आज भी हैं, और हमेशा छोटू अपने भाई को विधायक बनाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। छोटू कहते हैं कि मेरे भाई मेरे लिए राम जैसे हैं। आज मैं जो कुछ भी हूं, मां बाप के बाद अपने भाई के कारण ही मेरा झंडा लहरा रहा है।



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