सीएम के कार्यक्रम में प्रशासन की नासमझी!

0चार किलोमीटर पहले ही बैरियर लगाकर रास्ता रोका

0करमपुर स्टेडियम तक आने वाले सभी रास्ते पर बैरियर

0चार किलोमीटर पैदल चलकर आ रहे थे गांव के लोग

0बार बार मंच से प्रशासन से अनुरोध करते रहे राधेमोहन

0ऐसा लगा कि सीएम का नहीं विरोधी दल का है कार्यक्रम

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। सैदपुर ब्लाक के करमपुर में स्थित मेघबरन सिंह स्टेडियम में 17 अगस्त को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में पहुंचे सीएम योगी के कार्यक्रम में आने वाले वाहनों को रोकने से जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

जनता में प्रशासन की इस नासमझी की खूब चर्चा होती रही। यही नहीं मंच से कार्यक्रम के आयोजक पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह बार बार जिला प्रशासन के अधिकारियों से अनुरोध करते रहे कि कार्यक्रम स्थल पर आने वाले वाहनों को न रोका जाए। प्रशासनिक अफसर पब्लिक से इतनी सख्ती से पेश आए कि राधेमोहन खुद ही बिखर पड़े।

एक जगह उनकी पुलिस अफसरों से झड़प भी हो गई। अब सवाल उठता है कि आखिर प्रशासनिक अफसरों ने सीएम के कार्यक्रम में आने वाले वाहनों को किसके इशारे पर रोकने के लिए चार किलोमीटर दूर बैरियर लगाया था। इन अफसरों ने इतनी बड़ी हिमाकत सीएम के कार्यक्रम में कैसे कर दी। क्या इन्हें अपनी कुर्सी और अपनी नौकरी प्यारी नहीं है, जो इतना बड़ा रिस्क ले लिए।

ऐसा लग रहा था कि जैसे सीएम योगी का कार्यक्रम न होकर सपा के अखिलेश यादव का कार्यक्रम हो। ऐसी सख्ती नहीं देखी गई। कई पत्रकारों की बाइक तक जाने नहीं दी गई। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशासन ने जो बैरियर लगाए थे उसे एक तरह से नामसझी का बड़ा उदहारण माना जा सकता है। उचौरी गांव के पास बैरियर लगाए गए थे। इसकी दूरी कार्यक्रम स्थल से पांच किलोमीटर है। वहां से लोगों को पैदल आना पड़ा। वहीं पर वाहनों को रोका गया। बिहारी डगरा रोड को बंद कर दिया गया। इसकी दूरी सवा तीन किलोमीटर है। ददरा से गोठौली करमपुर मार्ग पर लोगों को रोक दिया गया।

यह मार्ग आजमगढ़ तक जाता है। इसकी दूरी सवा दो किलोमीटर है। इन तीनों मार्गों पर जिला प्रशासन ने बैरियर लगा दिए। इन तीनों मार्गों पर भारी फोर्स तैनात कर दी गई। कार्यक्रम स्थल पर जाने वाले वाहनों और उसमें सवार लोगों को उतार दिया गया। सभी को पैदल ही जाने को कहा गया। यहां से बहुत से लोग पैदल गए और सैकड़ों वाहनों में सवार लोग वापस चले गए। मुख्यमंत्री की सुरक्षा के संबंध में जब एक सीनियर आईएएस से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में यह देखा जाता है कि जहां पर सीएम का हेलीकाप्टर लैंड कर रहा है और जहां कार्यक्रम स्थल है वहां पर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी जाती है। अन्य सभी मार्गों को बंद नहीं किया जाता है।

अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अगर भीड़ नहीं आएगी तो कौन आएगा। क्या सीएम को भीड़ से कोई आपत्ति है। जिस सीएम के कार्यक्रम में भीड़ अधिक होती है तो उसकी उसी लिहाज से लोकप्रियता का पैमाना तय किया जाता है, लेकिन जिला प्रशासन ने नियमों के विपरीत जाते हुए ऐसी सख्ती चार किलोमीटर पहले ही कर दी कि लोगों में आक्रोश भड़क उठा। खुद बार बार मंच से पूर्व सांसद को बोलना पड़ा कि जो कार्यक्रम स्थल पर वाहन आ रहे हैं कि उसे रोका न जाए।

एक बार तो खुद बिहारी डगरा मार्ग पर जब प्रशासन ने लोगों के वाहनों को रोका तो खुद वहां जाकर राधेमोहन को हस्तक्षेप करना पड़ा। प्रशासनिक अधिकारी सीएम की सुरक्षा चार किलोमीटर दूर से सुनिश्चित करते हुए लोगों को समझाते रहे। बावजूद इसके कार्यक्रम में हजारों की भीड़ ने एक बार फिर सीएम की लोकप्रियता को जहां पर बढ़ाकर रख दिया है वहीं जिला प्रशासन की यह नासमझी की चर्चा सियासी हलके में किसी भाजपा के नेता की तरफ इशारा करने के लिए काफी है। राधेमोहन का कहना था कि प्रशासन की यह सख्ती पब्लिक के लिए ठीक नहीं थी।

सैदपुर से अधिक थी भीड़

वैसे चुनाव के समय सैदपुर में हुई सीएम की रैली से कई गुना भीड़ करमपुर में देखी गई। जहां राधेमोहन ने अकेले भीड़ जुटाई वहीं सैदपुर की भीड़़ दिग्गज नेताओं को जुटानी थी।

ऐसा आरोप गलत है कि सीएम के कार्यक्रम में वाहनों को नहीं आने दिया गया। मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिहाज से ही उसका खाका तय किया गया था। डा. ईरज राजा, एसपी



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