बाढ़ का खतरा और बंद से जूझ रहे कश्मीरी

श्रीनगर। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में अलगवादियों ने शनिवार को पुलिस की कथित ज्यादती के विरोध में बंद का आह्वान किया था, जिससे यहां आम जनजीवन प्रभावित हुआ। कश्मीरियों के लिए दुखदायक मजबूरी यह थी कि वे दो दिनों से कश्मीर में बाढ़ के हालात से जूझ रहे थे और ऐसे हालात के बीच भी उन्हें हुर्रियत के बंद के आह्वान को मानना पड़ा था।

हालांकि श्रीनगर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही सामान्य तरीके से होती रही। हुर्रियत के उदारवादी धड़े के नेता मीरवायज उमर फारूक ने पुलिस पर 26 जून को जामिया मस्जिद इलाके में शुक्रवार की नमाज के दौरान ज्यादती बरतने का आरोप लगाते हुए बंद का आह्वान किया था। पुराने श्रीनगर शहर के नौहटा इलाके में स्थित जामिया मस्जिद के प्रबंधन का कहना है कि पुलिस ने इलाके में आंसूगैस के गोले छोड़े, जिनमें से कुछ मस्जिद के भीतर पहुंच गए। बंद की वजह से श्रीनगर में दुकानें बंद रहीं और सड़कों पर वाहन नहीं नजर आए थे। बैंकों, सरकारी कार्यालयों, डाकघरों में हालांकि सामान्य तरीके से कामकाज हुआ था, लेकिन यहां भी उपस्थिति कम रही। कश्मीर में हालात पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि कश्मीरी किस मजबूरी में जीवन-यापन कर रहे हैं। पिछले कई महीनों से कश्मीर बार-बार बाढ़ के खतरे से जूझ रहा है। बाढ़ का खतरा इस साल सितम्बर तक बने रहने की आशंका जताई गई है। और इस खतरे के बावजूद न ही अलगाववादी गुट अपने बंद के आह्वान से कश्मीरियों को मुक्ति दे रहे हैं और न ही आतंकी हिंसा में कोई कमी आई है।



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