नावेद ने 45 दिन बिताए गुफाए में, ट्रेनिंग कैंप पिकनिक की तरह जेहन में

श्रीनगर। जम्मू के उधमपुर हमले में जिंदा पकडे गए आतंकी नावेद से पूछताछ में कई बडे खुलासे हुए हैं। उसका पाकिस्तान के फैसलाबाद की रफीक कॉलोनी से लेकर उधमपुर पहुंचने तक का सफर सामने आया है, वहीं पता चला कि कश्मीर में लश्कर के मोस्ट वॉन्टेड अबु कासिम ने ही इस हमले की साजिश रची थी। नावेद सिर्फ पांचवीं तक पढा है। पूछताछ के दौरान नावेद में बताया कि वह हमले के पहले 45 दिन तक एक गुफा में छुपा रहा, जहां लश्कर के आतंकियों सहित कई लोग उससे मिलने आते थे। मगर हैरानी इस बात की है कि नावेद को अपने किसी भी साथी आतंकवादी का असली नाम नहीं मालूम। वह उन सभी को कोड नेम से ही जानता है।

एक अंग्रेजी अखबार ने नावेद से पूछताछ कर रहे अफसरों के हवाले से यह खबर दी है। पूछताछ के दौरान नावेद ने बताया कि वह फैसलाबाद की खुरीवालां तहसील की रफीक कॉलोनी में रहता है। उसके पिता मजदूरी करते हैं, जबकि मां घर का ही कामकाज करती हैं। पांचवीं क्लास के बाद वह स्कूल नहीं गया और शुरूआत में काम में अपने पिता की मदद करता था।

पूछताछ रिपोर्ट (आईआर) के मुताबिक, 2011 में नावेद लश्कर के संपर्क में आया। बशीर नाम के एक शख्स उसे लश्कर के फैसलाबाद वाले ऑफिस लेकर गया था। उसी साल गारी हबीबुल्लाह कैंप में उसे 21 दिनों की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। ट्रेनिंग के बाद नवेद घर लौट आया, लेकिन उसका बशीर से संपर्क बना रहा। इसके बाद बशीर ने उसे मुजफ्फराबाद के लश्कर ट्रेनिंग कैंप में तीन महीने की ट्रेनिंग के लिए भेजा दिया। नावेद के मुताबिक, इस दौरान उसे एके-47 समेत कई तरह के हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई।

पिकनिक जैसे याद करता हैं ट्रेनिंग कैंप को...

पूछताछ करने वाले अफसर का कहना है कि नावेद आम्र्स ट्रेनिंग ले रहा था तो उसे ऎसा लगता था जैसे किसी आतंक के स्कूल में पिकनिक मना रहा हो। इस अफसर के मुताबिक, उसका बर्ताव एक ऎसे टीनएजर की तरह है जिसे यह अहसास तक नहीं है कि वह जिस आत्मघाती मिशन को अंजाम देने आया, उसके क्या नतीजे हो सकते हैं।



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