गाय माता को समझें चलता फिरता मंदिर

ग़ाज़ीपुर। दबंग आवाज

चंडिका धाम। बहादुरगंज के मुख्य पुजारी राहुल महराज कहते हैं कि हिन्दू धर्म में गाय एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, हिन्दू धर्म में गाय को मां और देवी का स्थान प्राप्त है। पुराणों के अनुसार गाय में सभी देवताओं का वास है।

हिन्दु्ओं के लिए गाय सबसे पवित्र पशु है। माना जाता है कि गाय माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस ले लेती है। वहां का वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।  गाय से जुड़ी रोचक और वास्तु दोष निवारक जानकारी

माना जाता है कि जिस जगह गाय खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी-देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।

पुराणों में लिखा है कि गाय के गले में घंटी जरूर बांधें, घंटी की आवाज कई वास्तु दोषों का काट करती है।

वेद पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति गाय माता की सेवा करता है, उसपर आने वाली विपदाएं समाप्त हो जाती हैं।

कहा जात है कि गाय के खुर्र में नागदेवता का वास होता है, इसलिए जिस जगह गाय विचरण करती है, उस जगह सांप-बिच्छू आदि नहीं आते।

गाय कि एक आंख में सूर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है।

गाय के दुध मे स्वर्ण तत्व पाया जाता है, जो रोगों की क्षमता को कम करता है।

वेदों के अनुसार गाय की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है, जो बुरी नजर उतारने में सर्वोत्तम मानी गई है। किसी भी जातक की बुरी नजर उतारने के लिए गाय की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है।

एक गाय को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी-देवताओं को भोग लग जाता है।

गाय के दूध, घी मक्खन, दही, गोबर, गो मूत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है। इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं।

काली गाय की पूजा करने से नव ग्रह शांत रहते हैं, जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है, उनको शत्रुओं और ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है।

कहा जाता है कि कोई भी कार्य अटका हुआ हो और बारघ्-बार प्रयत्न करने पर भी नहीं हो रहा हो तो गाय के कान में संबंधित कार्य को कहिए, रुका हुआ कार्य शीघ्र संपूर्ण हो जाएगा।



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