शादी के 13 साल बाद बनीं सिविल जज

जैसे ही आप उनके किराए के घर में प्रवेश करते हैं तो आपको दीवार पर कोर्टरूम, कार और एक आलीशान घर की तस्वीर दिखाई देगी। तस्वीर देखकर मन में सहज ही सवाल भी उठता है कि आखिर इसकी यहां जरूरत ही क्या है? क्योंकि न तो इसमें कुदरत की खूबसूरती है, न ही किसी रूपसी का चेहरा। दरअसल, यह चित्र एक महिला का ख्वाब है, जो अब दीवार से उतरकर हकीकत का रूप ले चुका है।

शादी के खूबसूरत सपने के साथ निधि शर्मा ने एक और ख्वाब बुना था, वह था जज की कुर्सी पर बैठने का। उनका चयन छत्तीसगढ़ में सिविल जज के पद पर हुआ है। आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद चूल्हे-चौके में लग जाती हैं पढ़ाई-लिखाई से तौबा कर लेती हैं, लेकिन इन्होंने विवाह के बाद ग्रेजुएशन पूरा किया, उसके बाद एलएलबी और एलएलएम।

शादी के बाद रोज 12-13 घंटे पढ़ाई की बात पर निधि कहती हैं कि पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते हुए एक लड़की के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना मुश्किल तो नहीं, लेकिन 'स्पीड ब्रेकर' जरूर है। हालांकि मेरे ससुराल वालों ने न सिर्फ मुझे सहयोग दिया बल्कि प्रोत्साहित भी किया। मेरे पति ब्रजराज शर्मा ने मेरे लक्ष्य को अपना लक्ष्य बनाया और हमने मंजिल पर पहुंचकर ही दम लिया। वे कहती हैं कि 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ' नारा भी तभी हकीकत में बदलेगा जब परिजन बेटियों और बहुओं उड़ान भरने के लिए पूरा आसमान देंगे।

राजस्थान के छोटे से कस्बे चेचट (रामगंज मंडी) निवासी निधि की आठ साल की एक बेटी भी है। वे कहती हैं कि मैंने किचन में, घर की दीवार पर अपने नोट्सड चिपकाकर रखे थे, ताकि घरेलू कार्य के दौरान भी पढ़ाई चलती रहे। साथ ही दीवार पर लगा चित्र हर समय मुझे अपना लक्ष्य हासिल करने की प्रेरणा देता और मेरी हिम्मत भी दोगुनी होती चली जाती।

सकारात्मक सोच से मिली सफलता : असफलता ने कभी निराश किया? कवि हरिवंशराय बच्चन की कविता 'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती' को उद्धृत करते हुए निधि कहती हैं कि सकारात्मक सोच सफलता को पाने की पहली सीढ़ी है। ऐसा नहीं है कि असफलता के बाद मुझे निराशा नहीं हुई, लेकिन मेरे पति ने हर बार मेरा हौसला बढ़ाया। जब भी मुझे नाकामयाबी मिली, मैं नई चुनौती के साथ आगे बढ़ी और अपनी गलतियों में सुधार किया।

जब भाषा की बात आती है तो वे कहती हैं कि मेरी पूरी पढ़ाई हिन्दी माध्यम से हुई है और मेरी सफलता में भाषा कभी रुकावट भी नहीं बनी। हां, सिविल जज परीक्षा के लिए मुझे थोड़ी अंग्रेजी की भी तैयारी करनी पड़ी। इस परीक्षा में अंग्रेजी मेरे लिए प्लस पॉइंट रही।



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