रसोई गैस सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में पहुंचाने से हुई 15,000 करोड़ र

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि रसोई गैस सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में पहुंचाने से इसकी कालाबाजारी और दुरुपयोग बंद हुआ है और इससे 15,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

लालकिले की प्राचीर से 69वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों को संबोधित करते हुये मोदी ने कहा कि करीब 20 लाख लोगों ने स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है। इससे रसोई घर के ईंधन को दूरदराज गरीबों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

एलपीजी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की इस योजना को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस ने दुनिया में सबसे बड़ी नकद हस्तांतरण योजना के रूप में माना है। इस योजना से एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति में बिचौलियों और कालाबाजारी करने वालों की भूमिका समाप्त करने में मदद मिली है। नकद लाभ हस्तांतरण की इस योजना से सब्सिडी सही लोगों तक पहुंचाने में मदद मिली है।

नकद लाभ हस्तांतरण की इस योजना को अब ‘पहल’ नाम दिया गया है। इसके लागू होने के बाद अब देशभर में एलपीजी की आपूर्ति बाजार मूल्य पर की जाती है और परिवारों को सरकारी सहायता सीधे बैंक खाते में उपलब्ध कराई जाती है।

मोदी ने कहा, हमने एलपीजी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण शुरू किया और सब्सिडी सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिये जनधन योजना और आधार नंबर के तहत खोले गये बैंक खातों का फायदा उठाया गया। उन्होंने कहा कि एलपीजी सब्सिडी को सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में पहुंचाने से हर साल 15,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का दुरुपयोग रूका है।

देश में एलपीजी सिलेंडर के 15.65 करोड़ सक्रिय घरेलू उपभोक्ताओं में से 13.8 करोड़ उपभोक्ताओं ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की ‘पहल’ योजना को अपनाया है और उन्हें सीधे उनके बैंक खातों में सब्सिडी दी जा रही है।

योजना को 15 नवंबर 2014 को देश के 54 जिलों में शुरू किया गया और फिर एक जनवरी 2015 से देशभर में इसे लागू किया गया। इस योजना को शुरू करने का मकसद रेस्त्राओं और दूसरे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में सब्सिडी वाले सिलेंडर के दुरपयोग को रोकना है।

वर्ष 2014-15 के केन्द्रीय बजट में एलपीजी सब्सिडी की मद में 49,591 करोड़ रुपये जारी किये गये जबकि इससे एक साल पहले 2013-14 में इस मद में 52,231 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये। इसमें एक साल के दौरान 11,640 करोड़ रुपये की बचत हुई।

मोदी ने कहा कि उन्होंने संपन्न लोगों से जो कि एलपीजी की बाजार कीमत चुका सकते हैं, स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया ताकि सस्ता सिलेंडर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने कहा, 20 लाख लोगों ने स्वेच्छा से एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ी है। मध्यम वर्ग के कई परिवारों और अध्यापकों ने भी स्वेच्छा से एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है।

मान लिया जाये कि इनमें से प्रत्येक परिवार साल में औसतन आठ सस्ते सिलेंडर इस्तेमाल करता है और प्रत्येक सिलेंडर पर औसतन 200 रुपये की सब्सिडी पड़ती है तो इस हिसाब से कुल बचत 320 करोड़ रुपये की हुई। वर्तमान में प्रत्येक परिवार को साल में 14.2 किलो के 12 घरेलू रसोई गैस सिलेंडर लेने की अनुमति है।



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