स्मार्ट वर्कर का है जमाना

हार्डवर्क हमेशा से फलदायी रहा है। पर यदि आपने ज्यादा हार्ड वर्क ज्यादा तरक्की को शब्दश गांठ बांध लिया है तो यह फायदे से अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। यकीनन वर्कोहॉलिक बनने के बजाय यदि स्मार्ट वर्कर बन जाएं तो मिल सकते हैं तरक्की के बेहतर अवसर देर तक ऑफिस में रुकने या सुबह जल्दी आकर पूरे दिन काम निपटाने की धुन में डटे रहने वालों में से आप भी तो नहीं यदि हां तो अमेरिका की सेंट लुइस यूनिवर्सिटी के मुताबिक आपकी सेहत भी खराब हो रही है और सक्सेस का ट्रैक रिकॉर्ड भी! रिपोर्ट के मुताबिक आप भले यह सोच रहे हों कि औरों से बेहतर परफॉर्मेंस कर रहे हैं और ज्यादा काम आपको मनचाही प्रमोशन दिला सकती है, लेकिन रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं। थोड़ा और गौर करें तो पाएंगे कि ज्यादा काम के इस फितूर की वजह से आपके कलीग दोस्त भी दूर होते जा रहे हैं आपसे हर वक्त काम की टेंशन टार्गेट की टेंशन बेस्ट करने की धुन में दिनरात गुजारते हैं तो संभलना होगा। ऑफिस को घर तक लाने की आदत है तो इस आदत से जितनी जल्दी हो छुटकारा पा लेने का अभ्यास आज से ही शुरू कर दें। दरअसल आप खुद गौर करेंगे तो महसूस होगा कि कड़ी मेहनत के बावजूद आपका आउटपुट आपके कलीग के जितना होता तो है पर उसकी गुणवत्ता खुद आपको खुशी नहीं देती। वहीं आप खुद हैरान होते हैं कि जो फन के साथ खेल-खेल में ही काम निपटा रहे हैं उनके काम की गुणवत्ता कहीं ज्यादा अच्छी है! और कुछ न सोचें। इस समस्या का एक ही हल है कि अपने काम को प्राथमिकताओं में सेट किया जाए। काम का ढेर न बनाएं उन्हें प्राथमिकताओं में बांटने और कल पर टालने के बजाय आज ही पूरा करने का संकल्प विकसित करें। कहीं आप इसलिए तो ज्यादा मेहनत नहीं करते क्योंकि आपको लगता है कि बॉस ने जो काम दिया है वह आप ही बेहतर तरीके से निपटा सकते हैं या आप सोच रहे हैं कि बाकी लोग बस असिस्ट कर सकते हैं। दरअसल कुछ लोग इस सोच के कारण भी वर्कोहॉलिक हो जाते हैं। ज्यादा मेहनत करते हैं या सब कुछ छोड़ कर ऑफिस में काम में जुटे रहते हैं क्योंकि उन्हें टीम के बाकी लोगों पर यकीन नहीं होता। डेडलाइन तक काम पूरा होने की टेंशन में औरों को शामिल करने या उनकी मदद लेने के बजाय खुद ही काम का बीड़ा उठा लेते हैं। यकीनन इस तरह की सोच टीम से भी दूर करता है और पर्सनल लाइफ सेहत पर भी इसका बुरा असर स्वाभाविक है। यदि आपको लगता है कि टीम का सपोर्ट नहीं मिल रहा तो बॉस से बात करें। एक टास्क को पूरा करने और दूसरे काम में जुट जाने का जुनून है कि जाता नहीं। कब सुबह होती है और कब आप घर जाने के लिए बैग उठा कर तैयार हो जाते हैं और कैसे गुजर जाता है हफ्ता महीना इसकी खबर नहीं होती तो यह संकेत है कि आप पूरी तरह अपने काम में डूब गए हैं। और तो और छुट्टियों में भी घर पर एंजॉय करने के बजाय आप ऑफिस के ही काम के बारे में सोचते रहते हैं और इसलिए अक्सर छुट्टियां भी बोझ लगने लगती हैं तो यकीनन वर्कोहॉलिक हैं आप। उल्लेखनीय है कि छुट्टियां आपको रिफ्रेश होने का मौका देती हैं। रिफ्रेश होने के बाद आपकी कार्यक्षमता पहले से कहीं ज्यादा बेहतर होती है।



अन्य समाचार