आईएस गैरइस्लामी : 1000 से अधिक इस्लामिक विद्वानों का फतवा

पूरी दुनिया में दहशत का पर्याय बन चुके आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा फतवा जारी किया गया है। भारत के इस्लामिक विद्वानों ने (जिसमें 1,050 मुफ्ती और इमाम शामिल हैं) आईएस का विरोध करते हुए बेगुनाहों की हत्या की भर्त्सना की है। आतंकी संगठन द्वारा पोस्ट की जाने वाली हत्याओं की तस्वीरों और वीडियो को भी विद्वानों ने ‘गैर इस्लामिक’ और शरीयत के खिलाफ बताया है।फतवे पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख इमाम और संगठनों में दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम, उलेमा काउंसिल ऑफ इंडिया, अजमेर दरगाह, निजामुद्दीन औलिया दरगाह, दारुल उलूम मोहम्मदिया, जमीयत-उल-उलेमा महाराष्ट्र, जमीयत अहले हदीस मुंबई, रजा अकैडमी, ऑल इंडिया तंजीम अमय-ऐ-मस्जिद, आमिल साहब दाऊदी बोहरा, सैयद जाहिर अब्बास रिजवी जैनबिया और मोइन अशरफ साहब कछोछा दरगाह शामिल हैं।

दुनिया पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम विद्वानों और मुफ्तियों ने एक साथ आइएस के खिलाफ फतवा जारी किया है। अभी तक आईएस जिहाद के नाम पर दुनिया भर के मुस्लिम युवाओं को भर्ती करती रही है और अनजान लड़के उसकी जाल में फंस भी रहे हैं। माना जा रहा है कि इस संयुक्त फतवे से कम-से-कम भारतीय युवाओं में पैठ बनाने की आइएस की कोशिशों को झटका लगेगा। फतवों में कहा गया है कि आईएस की करतूत इस्लाम के खिलाफ है। इसके अनुसार इस्लाम में महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों की हत्या की सख्त मनाही है, लेकिन आइएस के आतंकी हर दिन ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस फतवे को 15 अगस्त के दिन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव जनरल बान-की-मून के साथ साझा किया गया। इस्लामिक डिफेंस साइबर सेल के प्रेजिडेंट और दारुल उलूम अली हसन अहले सुन्नत के मुख्य सलाहकार डॉ. अब्दुल रहीम अंजारिया ने बताया, ‘आईएस द्वारा बेगुनाहों की हत्या करने, उनकी तस्वीरें क्लिक कर वीडियो बनाने और उसे ऑनलाइन पोस्ट करने पर हमने इस्लामिक विद्वानों के आगे याचिका प्रस्तुत की। इसके जवाब में एक हजार से ज्यादा मुफ्तियों और इमामों ने जवाब में इसे गैर-इस्लामी और अमानवीय बताया।’



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