अब अफजाल को डराने लगी है 29 तारीख

0हाईकोर्ट के फैसले के बाद अफजाल के साथ क्या होगा

0फैसला खिलाफ आया तो अफजल को होगी मुश्किल

0उप चुनाव हुआ तो भाजपा को मिलेगा बड़ा फायदा

0आज प्रयागराज हाईकोर्ट दोपहर बाद करेगा फैसला

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। सपा सांसद अफजाल अंसारी को 29 तारीख अब डराने लगी है। यह एक ऐसी तारीख है जो अंसारी परिवार को मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और सियासी रूप से परेशान करती रही है। आज ही 29 जुलाई को हाईकोर्ट प्रयागराज अफजाल अंसारी के सियासी भाग्य पर फैसला करेगा। जैसे-जैसे फैसले की सुई नजदीक आ रही है अंसारी परिवार की चिंताएं बढ़ने लगी हैं।

अगर अंसारी परिवार के खिलाफ फैसला आता है तो निश्चित तौर पर अफजाल अंसारी को इसका बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा और यहां पर होने वाले उपचुनाव की तारीख का भी ऐलान हो जाएगा। अगर पक्ष में फैसला आया तो अफजाल अंसारी यूपी में मुस्लिम समाज के बड़े नेता भी बन जाएंगे।

सियासत के पन्नों को अगर पलटा जाए तो 29 नवंबर 2005 को जब मुहम्मदाबाद विधायक कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की हत्या हुई तो उसी दिन से अंसारी परिवार की सियासी रूप से उल्टी गिनती शुरू हो गई। इसके बाद लगातार अफजाल अंसारी को सांसद रहते हुए भी कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। जहां उनको तकलीफ तो हुई ही। साथ ही जिस समाजवादी पार्टी से वह सांसद थे, इस पार्टी से उनका मनमुटाव हो गया और उन्होंने सपा को भला बुरा कहते हुए बसपा में जाने का फैसला किया।

हालांकि 2009 के चुनाव में यदुवंशियों का साथ नहीं होने कारण उन्हें जीत हासिल तो नहीं हुई, लेकिन उन्होंने अपने रास्ते भी अलग कर लिए। और कौमी एकता दल का गठन करके अपनी सियासी ताकत दिखाने की कोशिश की। मुहम्मदाबाद और मऊ विधानसभा को छोड़ दिया जाए तो कहीं भी कौमी एकता दल को सफलता नहीं मिली।

इसके बाद जमीनी स्तर पर अफजाल अंसारी ने जरूर ताकत दिखाई। 2004 के बाद 29 अप्रैल 2023 को उन्हें ग़ाज़ीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने 4 वर्ष की सजा सुनाई। जिसके बाद उन्हें जेल तो जाना ही पड़ा। साथ ही उनकी सदस्यता भी रद्द हो गई। हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से कुछ महीनों बाद राहत मिली और फिर लोकसभा चुनाव लड़ा। अब तीसरी बार सांसद हैं। 28 मार्च 2024 को मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में मौत हो जाती है और 29 मार्च 2024 को मुख्तार अंसारी को मुहम्मदाबाद के कालीबाग कब्रिस्तान में सुपुर्दे ख़ाक किया जाता है।

यह भी अंसारी परिवार के लिए मुश्किलों का दिन था। अब आज यानी 29 जुलाई 2024 को अफजाल अंसारी के भाग्य पर हाईकोर्ट की एकल बेंच फैसला करेगी। इस फैसले पर सभी की निगाहें हैं। अगर अफजाल अंसारी को सजा होती है तो निश्चित तौर पर उन्हें फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। जिस ताकत और उत्साह के साथ उन्होंने 2024 का चुनाव जीता था। अब उनके लिए लड़ना मुश्किल की घड़ी होगी। इन परिस्थितियों में अगर सजा होती है तो गाजीपुर एक बार फिर चुनाव की आग में झोंक दिया जाएगा।

मगर यह उपचुनाव भाजपा के लिए जहां संजीवनी का काम करेगा वहीं मनोज सिन्हा की एक बार फिर सियासी ताकत की अग्नि परीक्षा होगी। जिले के लोगों की नजर होगी कि वह जो भूल अपने बेटे अभिनव सिन्हा को लेकर किये थे। इस बार वह इस भूल को सुधारते हुए अभिनव सिंह को लोकसभा का टिकट दिलाएंगे।

दूसरी तरफ यह भी देखा जाएगा कि उनके प्रस्ताव पर क्या भाजपा की बड़ी लीडरशिप फैसला करती है या फिर यहां पर निरहुआ जैसे पूर्व सांसद को मैदान में उतार कर भाजपा यदुवंशियों को आकर्षित करेगी। भूमिहार समाज से पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा बृजेंद्र राय को भी बीजेपी चेहरा बना सकती है, मगर उन्हें सिन्हा कभी नहीं चाहेंगे कि वह चुनाव लड़ें। हालांकि अफजाल अंसारी को सजा के बाद नुसरत अंसारी पर समाजवादी पार्टी दाव लगा सकती है। या फिर पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा का भी उपचुनाव में भाग्य खुल सकता है। हालांकि यह सब कयासबाजी हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगी।



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