अब योगी दरबार में नंबर वन की हैसियत किसकी

0योगी ने राधेमोहन की तारीफ करके बनाया माहौल

0चंचल व राधेमोहन में सीधे तौर पर होगी टक्कर

0योगी दरबार में चंचल सिंह थे गाजीपुर से नंबर वन

0सीएम के करमपुर आने के बाद चंचल के लिए चुनौती

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। सपा के पूर्व सांसद राधेमोहन के बुलाए पर मेघबरन सिंह स्टेडियम करमपुर में पेरिस ओलंपिक खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में भाग लेकर सीएम योगी ने जिले की सियासत का रूख ही बदल दिया। सीएम दरबार में नंबर वन की हैसियत अब गाजीपुर से किसकी है, इस पर भी प्रश्न खड़े हो रहे हैं। अब तक तो जिले की जनता यह जानती थी कि एमएलसी ही सीएम के चेहते हैं, मगर जिस अंदाज में योगी ने राधेमोहन की तारीफ की, उससे लोगों का नजरिया ही बदल गया।

सीएम के आने के बाद चंचल अपनी सियासी हैसियत का मूल्यांकन या फिर बदलते परिवेश में अपने आपको ढालने की कोशिश करेंगे। हालांकि अभी तक राधेमोहन ने भाजपा की सदस्यता भी नहीं ली, मगर उन्होंने जिस अंदाज में हजारों की भीड़ के साथ सीएम का स्वागत किया, वह योगी के दिल में कहीं न कहीं जगह बनाने में जरूर कामयाब हो गए। राधेमोहन के इस सियासी खेल को चंचल देर से समझे। जबकि सियासी जानकारों का कहना है कि राधेमोहन सिंह सीएम योगी के यहां करीब डेढ़ वर्ष से मेहनत कर रहे थे।

उनके यहां अपनी नजदीकियां कायम कर रहे थे। बार बार सीएम से मिलना और उसको सोशल मीडिया पर वायरल करने के बाद भी राधेमोहन के विरोधी यह भांप नहीं पाए कि उनकी आगे की रणनीति क्या है। वह कौन सा खेल खेल रहे हैं, लेकिन सेफ मोड में बैटिंग कर रहे राधेमोहन ने अचानक पेरिस ओलंपिक में मेघबरन सिंह स्टेडियम से जीते खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में सीएम को आमंत्रित करके विरोधियों के सीने पर एक तरह से दाल दर दिया। तब अंदर से उनके सियासी विरोधियों के आंखों से भ्रम का पर्दा हटा। भाजपा भी नहीं जान पाई की यह सब कैसे हो गया।

जब सीएम का कार्यक्रम तय हुआ तो सभी नेता कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लेने करमपुर पहुंचे। उसमें एमएलसी विशाल सिंह चंचल भी थे। उनके लोग भी थे। भाजपा के नेता भी गए। सभी ने इस कार्यक्रम को अपने अपने चश्मे से तैयारी का सुझाव दिया। सभी का मानना था और यहां तक की जिला प्रशासन का भी मानना था कि पांच हजार की ही भीड़ होगी। उस समय ही राधेमोहन ने साफ कह दिया कि यह मेरा कार्यक्रम है, भीड़ कितनी होगी यह मुझे तय करना है। इसके बाद राधेमोहन की पूरी टीम जुटी और प्रशासन के लाख बैरियर लगाने के बाद भी कार्यक्रम में 25 हजार से अधिक लोग पहुंच गए। यहीं नहीं जितने लोग कार्यक्रम स्थल पर थे, उससे कई गुना लोग कार्यक्रम के बाहर खड़े थे।

भीड़ देखकर राधेमोहन के विरोधियों का चेहरा जहां शर्म से काला पड़ गया था, वहीं मंच पर बैठे कई नेताओं के चेहरे की रंगत देखते बन रही थी। अब सवाल उठता है कि जिस सीएम दरबार में चंचल नंबर वन थे, वहां पर राधेमोहन के आने से चंचल की पूछ बरकरार रहेगी। या फिर चंचल की जगह राधेमोहन लेंगे। अगर इस कार्यक्रम के बाद राधेमोहन अपनी अन्य रणनीति के साथ आगे बढ़ते हैं तो निश्चित तौर पर चंचल को और सक्रिय होना पड़ेगा।

जो उनका सीएम की वजह से अधिकारियों सहित समर्थकों में दबदबा है उसको कायम रखने के लिए अपने किले की सियासी कटीले तार से घेराबंदी करनी पड़ेगी। क्योंकि राधेमोहन उस अखाड़े के सियासतबाज हैं जहाँ वह अपने सियासी विरोधियों को पर्दे के पीछे पटकने के बजाय समाज में सीधे पटकनी देना अधिक पसंद करते हैं।

सीएम की कार में बैठे राधेमोहन
यही नहीं करमपुर में जब हेलीपैड से कार में राधेमोहन सीएम के साथ बैठे थे तो संकेत साफ हो गए। यही नहीं छोड़ने भी राधेमोहन सीएम की कार में ही बैठकर गए। यह नजारा जिसने भी देखा सभी हैरान थे। जबकि इससे पहले जिले में जितनी बार सीएम आए तो कार में चंचल ही बैठते थे, कार्यक्रम चाहे जिसका भी हो। खैर चंचल कार में बैठना चाहे मगर बैठ नहीं पाए। खैर चंचल शुद्ध रूप से बिजनेसमैन हैं और सप्ताह में एक दिन यानि रविवार को जब वाराणसी बंद रहता है तो गाजीपुर अपने कार्यालय आते हैं यहां पर समस्या सुनते हैं और चले जाते हैं। इस दौरान गैदरिंग खूब होती है।

वाकई! चंचल ईमानदार नेता
यहीं नहीं राधेमोहन ने कई ब्लाक प्रमुखों को भी अपने पाले में कर लिया है वह भी चंचल के लिए कम मुसीबत नहीं होगी। पूर्व में कई प्रमुखों से चंचल के रिश्ते तल्ख रहे हैं। इसमें उनके साले पंकज सिंह और उनकी सरहज भी शामिल हैं। हालांकि जीजा साले के रिश्ते अब सामान्य हो रहे हैं। इन सबके बावजूद चंचल के साथ प्लस प्वाइंट यह है कि वह अपनी निधि में कभी भी कमीशनखोरी नहीं किए। यहीं उनको राजनीति में टिका कर रखे हुए है।



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