अईसन बुझात बा बबुआ विधायक बनिएं...

0आखिर भाजपा नेता सानंद की कुंडली में कब बन रहा है राजयोग

0पीएम व सीएम तक से मिले, सभी ने मेहनत करने की दी सलाह

0डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने विधायक बनने का दिया आर्शीवाद

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। भाजपा के युवा नेता और एमएलसी विशाल सिंह चंचल के हाथों वर्ष 2016 में मामूली वोटों से चुनाव हारने वाले डा. सानंद सिंह की कुंडली में आखिर राज योग कब आएगा। इसकी चर्चा अब सियासी गलियारों में होने लगी है।

कृष्णजन्माष्टमी के पावन अवसर पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से जब सानंद सिंह मिले तो उन्होंने विधायक बनने का आर्शीवाद दिया। ऐसा ही आर्शीवाद पीएम से लेकर सीएम तक उन्हें दे चुके हैं। बावजूद इसके सानंद ने कभी हिम्मत नहीं हारी।

उनके खास धर्म भाई विवेक सिंह सौरभ कहते हैं डाक्टर साहब जरूर एक दिन प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचेंगे, क्योंकि उनके अंदर जो टैलेंट है गाजीपुर के किसी नेता में मुझे देखने को नहीं मिलता। वह सियासत के हीरा हैं। अब सवाल उठता है कि भाजपा के जौहरी इस हीरे की पहचान कब करेंगे।

डा. सानंद सिंह के सियासी सफर पर नजर दौड़ाई जाए तो वह 2007 में ही विधायक बन गए होते, मगर कुछ लोगों ने जलन बस जहाज उड़ा दिया और वह चुनाव जीतते हुए भी हार गए। मगर हार के बाद भी सानंद का हौसला बुलंद रहा। आज सानंद पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकते हैं कि मां भारती के प्रत्येक लाल को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए एक विशाल शिक्षा का मंदिर स्थापित किया हूं।

जहां आज हजारों बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस सत्यदेव गु्रप आफ कालेजेज बोरसिया को बनाने के लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत की। ऐसा नहीं था कि डाक्टर सानंद ने अपने जीवनकाल में किसी को गुरू नहीं बनाया। उन्होंने गुरू बनाया। जब उन्होंने अपने पहले गुरू से आर्शीवाद मांगा तो दक्षिणा में सिर्फ असफलता ही मिली। यही वजह रही कि 2007 का चुनाव उन लोगों ने सानंद को हराया था जो सानंद की लोकप्रियता से घबराते थे। यही हाल 2016 में जब दूसरे गुरू मिले तो उन्होंने एमएलसी का टिकट मिला। वह शत् प्रतिशत जीत गए होते, मगर अपनों ने ही धोखा दे दिया।

यह सानंद की आत्मा जानती है कि जिनको जिनको गुरू बनाया, सभी ने धोखा दिया। कम वोटों से चुनाव हारना आज भी सानंद को परेशान करता है। बावजूद इसके सानंद का हौसला हर मोर्चे पर देखने को मिलता है। जब चुनाव के समय पीएम आए तो वह बड़े ही गर्मजोशी से मिले। सानंद में ऐसा आनंद पीएम पा गए थे कि एक टक उन्हें निहारते रहे। ऐसा लगा कि यह सियासत का हीरा आखिर कहां छुपा हुआ है। मगर उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

सीएम जब बीते 17 अगस्त को करमपुर आए तो सानंद ने उनका स्वागत किया। तब भी उनसे सीएम बहुत ही आर्शीवाद वाली मुद्रा में मिले। अब सोमवार को कृष्णजन्माष्टमी पर वह सीधे डिप्टी सीएम से मिले। उन्हें कुछ किताबें भेंट की। उन्हें शाल ओढ़ाकर स्वागत किया। डिप्टी सीएम के साथ सानंद ने चाय की चुस्की ली। सियासत पर बातें हुईं। गाजीपुर में क्या चल रहा है, हर एक नेता के विषय में बृजेश पाठक ने उनसे पूछा। सानंद से मिलकर डिप्टी सीएम काफी प्रभावित हुए। वह मुस्कुरा रहे थे। और सोच रहे थे कि इतना प्रतिभावान युवा शिक्षाविद् आखिर कहां पड़ा हुआ है।

डिप्टी सीएम की बातचीत से ऐसा लग रहा था कि 2027 से पहले सानंद को बड़ा सियासी आनंद होने जा रहा है। खैर काफी देर तक दोनों नेताओं में वार्ता के बाद सानंद आर्शीवाद लेकर लहुरीकाशी की ओर चल दिए। उन्होंने डिप्टी सीएम के आवास से जाते जाते यह सोचकर निकल रहे थे कि सानंद निकल पड़ा है जुस्त जू में, मुड़ मुड़कर देखता है शायद कोई पुकारे शायद कोई पुकारे...।



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