भिखारियों के देवता के जन्मदिन पर जश्न

0जिला पंचायत अध्यक्ष व उनके पति भी केक लेकर पहुंचे

0सुबह से शाम तक केक काटने वालों का लग रहा तांता

0विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने दी शुभकामनाएं

07 सितंबर को शैलेंद्र सिंह ने पार कर लिया 52वां बसंत

0जन्मदिन पर मामा की पार्टी में दर्जनों दिखाई दिए भांजें

0अब छोटी राजधानी के ताज में दोस्तों संग मनेगा जश्न

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। भिखारियों के देवता के 52वें जन्मदिन पर शनिवार को महुआबाग में जश्न का माहौल रहा। जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह एवं उनके पति पंकज सिंह समेत विभिन्न राजनीति दलों के नेता अपने हाथों में केक लेकर उनके घर पहुंचें। केक काटा और सभी का मुंह मिठा कराया।

आप सोच रहे होंगे कि आखिर गाजीपुर शहर में भिखारियों का देवता कौन पैदा हो गया। जी हां हम बात कर रहे हैं रवि सिंह के बड़े पुत्र समाजसेवी शैलेंद्र सिंह की। सात सितंबर को शैलेंद्र का 52वां जन्मदिन था। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सैकड़ों पोस्ट पड़ी थी। हर कोई बधाई दे रहा था। पुरानी यादें भी जीजा के साथ ताजी हो रही थीं। कभी जीजा भी शैलेंद्र का जन्मदिन मनाने बनारस से यहां आते थे और डिनर करने के बाद ही जाते थे।

आज दिन में ही डिनर का इंतजाम होटल ग्रैंड में रिश्तेदारों की तरफ से था। मगर गणेश व्रत होने के कारण कई दोस्तों का चेहरा गिरा था। सभी सिर्फ एक दूसरे के चेहरे पर केक लगाकर ही मस्ती कर रहे थे, लेकिन जो मस्ती उनको करनी थी वह नहीं हो पाई। अब इसके लिए जल्द ही पंकज की तरफ से छोटी राजधानी में सेवन स्टार होटल में पार्टी दी जाएगी। अब सवाल उठ रहा होगा कि शैलेंद्र सिंह को आखिर भिखारियों का देवता क्यों कहा जा रहा है। इसको जानने के लिए 25 वर्ष पुराने इतिहास के पन्नों को पलटा जाना जरूरी होगा।

कभी शैलेंद्र भी संघर्ष के दौर में जिंदगी गुजारी थी। उस समय उनका इतना समाजिक दायरा नहीं था। कुछ खास दोस्त ही उनके साथ थे। लेकिन शुरू से शैलेंद्र के भीतर अपने साथ रहने वालों के लिए मदद करना और उनके लिए लड़ना एक आदत का हिस्सा बन गया था। यही कारण था कि शैलेंद्र को औरों से अलग कर रहा था। तभी एक दिन एक भिखारी उनके घर पर आया। उसके आंखों में आंसुओं का सैलाब था। वह रो रहा था। बिलख रहा था। उसको तेज की भूख लगी थी। उसके कपड़े मैले कुचले थे। ऐसा लग रहा था कि वक्त के जालिमों ने उसे सताया था। उसकी दशा देखकर शैलेंद्र को दया आ गई।

उन्होंने पहले उसके कपड़े बदलवाए। फिर उसको भोजन कराया। उसके हाथ पर कुछ पैसे भी रखे। उससे आर्शीवाद भी लिया। यह सब पाकर वह भिखारी खुशी के आंसू बहाने लगा। कहा कि भैया! हमको सब लोग भिखारी समझकर भगा देते हैं, लेकिन आज जो आपने मुझे सम्मान दिया है, इसके बदले भगवान आपको बहुत सारा सम्मान देंगे। लेकिन यह बात जरूर याद रखिएगा...। कोई भी भिखारी आ जाए तो उसे भगाइएगा मत। यह बात शैलेंद्र को जम गई। फिर क्या था। जो भी भिखारी आता, शैलेंद्र उसका सहारा बन जाते। धीरे धीरे यह बात शहर के भिखारियों को पता चल गई। इसके बाद तो उनके यहां भिखारियों का मजमा लगना शुरू हो गया।

आज हालत यह है कि शैलेंद्र को सिर्फ भिखारियों के लिए हजार रूपये से अधिक खर्च करना पड़ता है। घर वाले कहते भी हैं, दोस्त भी मना करते हैं, मगर शैलेंद्र का साफ कहना है कि अगर मैं जिंदा हूं तो इन भिखारियों की वजह से। इनकी दुआ के बदौलत आज मैं कांच से कहिनूर हो गया हूं। अपने कमजोर दोस्तों के लिए भी शैलेंद्र ने हमेशा दिल बड़ा किया। अब तो भिखारियों की बात हो गई। मगर सियासी भिखारी भी उनके यहां आते हैं तो उनके लिए भी उनका दिल बड़ा ही होता है। भले ही बाद में धोखा देते हैं, आलोचना करते हैं, मगर शैलेंद्र अपनी आदत में सुधार नहीं लाते। दर्जनों सियासी लोगों के लिए शैलेंद्र ने सब कुछ किया। आज उनके दोस्त ही उनकी कीमत समझते हैं। बावजूद इसके लगातार हर तरह के भिखारियों की मदद करना उनकी आदत बन गई है। आज शनिवार को उनके जन्मदिन पर हर तरह के लोग आए। सबसे पहले शैलेंद्र सुबह स्नान करके घर में पूजा किए। फिर मंदिर गए। परिवार के साथ कथा भी सुने।

चूंकि आज गणेश चौथ का व्रत भी था। मंगलकारी दिन था तो परिवार में भी पूरा माहौल आज भक्तिमय ही था। जब मंदिर से आए तो सैकड़ों लोग उनके घर केक लेकर पहुंचे थे। शहर के हर गणमान्य व्यक्ति ने शैलेंद्र के जन्मदिन पर उनसे मुलाकात किया और उनकी लंबी उम्र की कामना की। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि शैलेंद्र के घर लोग केक लेकर खुद पहुंच रहे थे। इस तरह का नजारा सिर्फ सांसद, विधायक और मंत्रियों के जन्मदिन पर ही देखने को मिलता है, मगर एक साधारण से समाजसेवी को लोगों ने आज अपने दिलों में उतार लिया। लोगों का प्यार देखकर कई बार शैलेंद्र की आंखें भी भर आईं। उन्होंने सभी लोगों का आभार जताया। अपने दोस्तों को होटल ग्रैंड में भोज दिया। जिसमें पंकज सिंह से लेकर उनके तमाम खास दोस्त जैसे अजय सिंह शास्त्री, बाबी, मोहित, पप्पू सिंह सहित तमाम लोग शामिल रहे। पूर्व ब्लाक प्रमुख घूरा सिंह ने फोन पर बधाई दी। वह भी बीमार हैं और काशी के किसी अस्पताल में भर्ती हैं। घूरा सिंह भी शैलेंद्र सिंह को हीरो मानते हैं। वहीं शम्मी भी बुखार से तप रहे हैं, उनको वायरल हुआ है। फिर भी अपने भाई के लिए सुबह ही केक लेकर पहुंच गए थे।

शैलेंद्र ने अपने खास भिखारियों को घर पर बुलाकर मिठाई खिलाया। सभी ने उनके लिए दुआएं दीं। कहा कि तुम जीओ हजारों साल, साल के दिन हों एक हजार...। औरों से तुम्हारा अंदाज ही तुम्हें अलग बनाता है। हैप्पी बथर्डे टू यू शैलेंद्र भैया कहकर मुस्कुराते हुए चले गए। यह अंदाज भिखारियों का जितने भी दोस्तों ने देखा सभी ने शैलेंद्र सिंह को गले लगा लिया।



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