सीता आग में न जलीं, राम जल में जल गए

0कल सीता के धैर्य की होगी असली अग्नि परीक्षा

0टेंडर के कलेंडर को लेकर चल रही है सियासी जंग

0ब्लाक के अफसर को आई फोन काल ने किया परेशान

सियासी मिर्ची

अजीत केआर सिंह, गाजीपुर। जग की सब पहेलियों का देके कैसा हल गये, लोक के जो प्रश्न थे वो शोक में बदल गये। सिद्ध कुछ हुए ना दोष दोष सारे टल गये, सीता आग में ना जली राम जल में जल गये...।

इंदौर निवासी सुप्रसिद्ध कवि अमन अक्षर की यह मशहूर कविता आजकल मरदह वाली सीता पर सटीक बैठ रही है। सीता की अग्नि परीक्षा मंगलवार को टेंडर के कलेंडर को लेकर होगी। अब देखना होगा कि इस अग्नि परीक्षा में सीता जलती हैं या फिर राम जल में जल में जलने में जलने से पहले अपने आप को बचा लेंगे। इस ब्लाक का किस्सा अब सियासी किस्सा बन चुका है।

यह सियासी द्धंद बीते दस दिनों से आजकल मरदह में देखने को मिल रहा है। विकास के सिंहासन पर बैठीं सीता आजकल काफी सुर्खियां बटोर रही हैं। कुछ दिन पहले सीता की अग्नि परीक्षा लेने के लिए कलयुगी राम के कुछ लोग पहुंचे तो मरदह के विकास मंडप का माहौल सियासी रूप से गरम हो गया।

वे लोग अपने अभिलेख का नाम दर्ज कराना चाहते थे। उस समय सीता ने अपना रौद्र रूप दिखाया तो खाकी आ गई। किसी तरह से मामला शांत तो हुआ, मगर इसकी आग की लपटें भगवाधारियों तक पहुंच गईं। सीता ने साफ शब्दों में कह दिया कि मुझे जलाने की कोशिश किसी ने की तो मैं खुद जला दूंगी। यह मामला सुर्खियां बटोरा और मामला जिलाध्यक्ष के पास पहुंचा और सीता ने यहां आकर कहा कि मेरी सिर्फ यही गलती है कि मैं राज धर्म का पालन कर रही हूं।

मगर कुछ कलयुगी लोग मुझे बदनाम करने पर तूले हैं। मेरे अफसरानों को फोन पर फोन आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि टेंडर का कलेंडर खोला तो खैर नहीं। अफसरों पर तो फोन काल का भूत सवार रहा है। संबंधित कर्मचारी का मोबाइल नंबर भी बंद है, वह लापता है। डरा हुआ है। सहमा हुआ है। उसे किसी अनहोनी की आशंका है। आखिर मेरे ही किले को क्यों ढहाने की साजिशें रची जा रही हैं।

अगर ऐसा ही करना था तो मेरा राज्याभिषेक ही क्यों कराया। जब चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा तो उससे ही राजनीति पैदा हो गई। मुझे राजनीति कुछ नहीं पता थी। मेरे शौहर ने कहा था कि बनारस वाले राजा बाबू का आर्शीवाद है। डरने की कोई जरूरत नहीं है। फिर मुझे क्यों डराया जा रहा है। वैसे मैं डरने वाली नहीं हूं। मैं सीता हूं। मुझे जलाने वाले जल में ही जल जाएंगे।

अब देखना होगा कि मरदह वाले अफसर कल टेंडर खोलते हैं या फिर कार्यालय के प्रतिनिधि के फोन काल को सीने से लगाकर उसको निरस्त करते हैं। आने वाले दिनों में जिले के ब्लाक प्रमुखों को ऐसे फान काल अब परेशान करते रहेंगे। इसका कोई स्थायी हल खोजना पड़ेगा।

वैसे सीता जी को उनके जिलाध्यक्ष लहुरा देवर जी ने भरोसा दिया है कि हर हाल में कल टेंडर खुलेगा और सीता की लाज बचेगी।



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